लंदन में स्थित प्रतिष्ठित इंडिया क्लब – एक प्रतिष्ठित लाउंज-सह-रेस्तरां और बार होने जा रहा है बन्द, सितम्बर की यह तारिख होगी इसके संचालन की अंतिम तिथि, जाने इससे जुड़े दशकों का इतिहास।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसात लंदन से यह बड़ी खबर सामने आ रही ही जिंसके अनुसार बताया जा रहा है कि
इंडिया क्लब -जो कि एक प्रतिष्ठित लाउंज-सह-रेस्तरां और बार मध्य लंदन में एक व्यस्त सड़क पर होटल स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल के अंदर की और स्थित है अब बंद होने जा रहा है।
वहीं इसके बारे में बताया जा रहा है कि यह दशकों से शहर में दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान के रूप में भूमिका निभाता आ रहा था लेकिन अब इसके लिए बुरी खबर है।
वही इसे 1950 के दशक में प्रारंभिक भारतीय आप्रवासियों के मिलने और जुड़ने के स्थान के रूप में स्थापित किया गया था, यह बन्द होने जा रहा है क्योंकि जिस इमारत में यह स्थित है, उसके मालिक इसके एक संरचना के एक हिस्से को ध्वस्त करना चाहते हैं।
वही इससे जुड़ी बन्द होने की खबर से इसके कई संरक्षकों का कहना है कि वे इस खबर से दुखी हैं क्योंकि अगर इस क्लब के बंद होने से यह शहर अपने इतिहास का एक खास हिस्सा खो देगा जो दुःखद है।
वही अगर इस क्लब की बात करें तो यह क्लब वर्षों से बंद होने से बचने की लड़ाई से जूझ रहा है।
वही इस क्लब को कुछ साल पहले ही इसके मालिकों – यादगार मार्कर और उनकी बेटी, फ़िरोज़ा – ने इस स्थान को बचाने के उनके एक अभियान के बाद हजारों हस्ताक्षर प्राप्त होने के बाद विध्वंस के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत ली थी।
लेकिन फिर वह काली रात का साया पिछले हफ्ते आ ही गया जिसका शायद इंतजार इस क्लब के प्रशंसक कभी नही चाहते थे।
वही क्लब के प्रीतिनिधियो द्वार मीडिया को जानकारी दी गयी है कि इसके खुके रहने का अंतिम दिन 17 सितंबर 23 होगा यही इसका आखिरी दिन भी होगा जब यह क्लब खुला रहेगा।
अब इस खबर से कई लोगों के लिए यह एक झटके के कम नही है क्योंकि यह स्थान इतिहास के सरोवर से लबालब भरा हुआ है।
वही इस क्लब की स्थापना जैसा कि बताया जा रहा है कि होटल स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल की पहली मंजिल पर ब्रिटेन स्थित संगठन इंडिया लीग के सदस्यों द्वारा की गई थी।
वही यह भी बताया जा रहा है कि इसने 1900 के दशक में भारत की स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाया था।
वहीं इस क्लब से जुड़ी यह बात भी कही जाती है कि भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
वही इस क्लब के लिए मार्करों ने 1990 के दशक में संपत्ति का पट्टा खरीदा था।
मीडिया रिपार्ट बतलाती है कि भारत की आजादी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने शुरू में क्लब को बैठक स्थल के रूप में इस्तेमाल किया था,
लेकिन वही यह क्लब बाद में दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों के लिए पार्टी भोजन और अन्य कार्यक्रमों के जरिए दोस्ती बनाने का एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया था।
वही जानकरी के अनुसार यह क्लब 1950 और 60 के दशक में एकमात्र ऐसी जगह रही थी जहां भारतीय उन सभी लोगों से मिलने जा सकते थे जो उनकी भाषा बोलते थे और उन्ही की तरह खाना खाते थे।
वही इंडिया क्लब से जुड़े लोगों ने कहा है कि वे लोग अक्सर जन्मदिन, शादी या यहां तक कि भारतीय त्योहार जैसे दिवाली – रोशनी का हिंदू त्योहार मनाने के लिए वहां मिलते थे।
वही रिपोर्ट बताती है कि इस इंडिया क्लब ने भारतीय समुदाय के लिए इस खाली जगह को भर दिया था।
वही इस क्लब में ऐसे व्यंजन परोसे गए जो भारतीय परंपरा से परिचित थे।
इसमें दक्षिण भारतीय मुख्य व्यंजन जैसे डोसा और सांभर , उत्तर भारतीय व्यंजन जैसे बटर चिकन, भारतीय स्ट्रीट फूड जैसे पकोड़े, कॉफी और मसाला चाय आदि उपलब्ध होते थे।
वही यह भी बताया जा रहा है कि क्लब के अंदरूनी हिस्से को स्वतंत्रता-पूर्व भारत की कॉफी की दुकानों की नकल करने के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था।
यहाँ आकर अक्सर लोग सिगरेट और चाय के कप के साथ संस्कृति और राजनीति के बारे में बातचीत करने के लिए मिलते रहते थे।
वही इस क्लब के झूमर, फॉर्मिका टेबल और सीधी पीठ वाली कुर्सियाँ 70 साल से भी पहले जैसे स्थापित की गई थी आआज भी वैसे ही है।
वही यह क्लब सामाजिक-राजनीतिक इतिहास की उन यादों को ताजा कराता आ रहा है जो समृद्ध थी।
यही की दीवारें उन प्रमुख भारतीय और ब्रिटिश हस्तियों के चित्रों से सजाई गई हैं, जो यहां वर्षों पहले आए थे।
जिनमे दादाभाई नौरोजी और पहले ब्रिटिश भारतीय सांसद और दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल भी शामिल है।
यह क्लब वर्षों से न केवल आप्रवासियों के लिए, बल्कि पत्रकारों और विभिन्न भारत-ब्रिटिश समूहों और संघों के साथ साथ जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए एक लोकप्रिय बना हुआ था।
इसके बारे में मीडिया में लिखा जाता था कि यह मध्य लंदन में किफायती भारतीय भोजन परोसने वाली कुछ खास कुछ जगहों में से एक थी।
इंडिया क्लब के बारे में बताया जाता है कि यह एक शहर के किसी ‘छिपे हुए रहस्य’ की तरह रहा है।
अकसर यहां लोग भारत से आने वाले अपने दोस्तों और परिवारिक लोगों को यहां ले जाना जाना पसंद करते हैं।
लेकिन अब इस ऐतिहासिक स्थान का बंद होने का समय नजदीक आ गया है जिससे इसके चाहने वाले मायूस और दुखी है।