khabaruttrakhand
आकस्मिक समाचारउत्तराखंडटिहरी गढ़वालदिन की कहानीप्रभावशाली व्यतिराजनीतिकराष्ट्रीयविशेष कवरस्टोरी

बिना छाती खोले पहली बार हार्ट की बाईपास सर्जरी – एम्स के चिकित्सकों ने दिखाया कौशल, किया कमाल – 4 महीने से परेशानी में था 69 साल का बुजुर्ग ।

– बिना छाती खोले पहली बार हार्ट की बाईपास सर्जरी
– एम्स के चिकित्सकों ने दिखाया कौशल, किया कमाल
– 4 महीने से परेशानी में था 69 साल का बुजुर्ग

मेडिकल के क्षेत्र में एम्स के चिकित्सकों की यह उपलब्धि किसी मिसाल से कम नहीं। हृदय की जिस बीमारी का इलाज आज तक छाती में चीरा लगाकर बायपास सर्जरी से ही संभव हुआ करता था, सीटीवीएस विभाग के सर्जन चिकित्सकों ने उसे अब बिना चीर-फाड़ और हड्डी काटे बिना कर दिखाया है। तकनीक और अनुभव के आधार पर कायम की गयी यह मिसाल एक ऐसे 69 वर्षीय बुजुर्ग के इलाज से जुड़ी है जो उम्र के आखिरी पड़ाव में है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने सर्जरी करने वाले चिकित्सकों की प्रशंसा कर चिकित्सा सुविधा के क्षेत्र में इसे संस्थान की उपलब्धि बताया।

ऑपरेशन थियेटर से बाहर लाने के कुछ घन्टे बाद जब रोगी राम गोपाल को वार्ड में होश आया तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि उनके हार्ट की बाईपास सर्जरी मेडिकल की ऐसी तकनीक से की गयी है जिसमें उनकी छाती की हड्डियों को काटने की आवश्यकता नहीं पड़ी। बकौल राम गोपाल, बिना चीर फाड़ के की गई यह सर्जरी उनके लिये किसी चमत्कार से कम नहीं। सहारनपुर के इस रोगी ने बताया कि अपनी स्वास्थ्य समस्या को लेकर वह 26 मार्च को एम्स आया था।
वहीं जांच की आवश्यकता को देखते हुए 21 अप्रैल को उनकी एंजियोग्राफी की गयी।

पता चला कि उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीस की समस्या है। उन्होंने बताया कि इसके लिए चिकित्सकों ने जल्दी ही उनके हार्ट की सर्जरी करने की आवश्यकता बतायी और विभिन्न जांचों के बाद सीटीवीएस विभाग के डॉक्टरों द्वारा 30 अप्रैल को उनके हार्ट की सर्जरी कर दी गयी।

अस्पताल से डिस्चार्ज होने से पूर्व उन्होंने बताया कि अब उन्हें आराम है और वह बेहतर महसूस कर रहे हैं। सर्जरी टीम के मुख्य शल्य चिकित्सक डाॅ. राजा लाहिड़ी ने इस बारे में बताया कि रोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।

सर्जरी करने वाले डाॅक्टरों की टीम में डाॅ. राजा लाहिड़ी के अलावा एनेस्थेटिक डाॅ. अजय कुमार, सीटीवीएस के डॉ शुभम् रावत, डाॅ. पूजा, डाॅ. जूही आदि शामिल थे।

इंसेट
एम्स के हृदय छाती एवं रक्त-वाहिनी शल्य चिकित्सा (सी.टी.वी.एस.) विभाग के शल्य चिकित्सक डाॅ. राजा लाहिड़ी ने बताया कि कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. बरून कुमार द्वारा एंजियोग्राफी करने के बाद हार्ट में ब्लाॅकेज का पता चलने पर टीम ने बाईपास सर्जरी करने का निर्णय लिया। डाॅ. लाहिड़ी ने बताया कि एम्स में पहली बार किसी रोगी की मिनीमली इनवेसिव टोटल आर्टीरियल कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी की गयी है।

सी.टी.वी.एस. के विभागाध्यक्ष डाॅ. अंशुमान दरबारी के अनुसार उम्र के आखिरी पड़ाव में होने के कारण यह सर्जरी हाई रिस्क में थी लेकिन ओटी में 4 घन्टे की मेहनत के बाद टीम वर्क से इसे सफलता पूर्वक अंजाम दे दिया गया।

इंसेट
कोरोनरी आर्टरी डिजीस में दिल की मांशपेशियों तक खून पहुँचाने वाली धमनियों में रुकावट आ जाती है। इससे रोगी को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

डाॅ. दरबारी ने बताया कि बाईपास सर्जरी इस बीमारी का एक महत्वपूर्ण इलाज है।

सामान्यतः रोगी की छाती में चीरा लगाने के बाद उसकी छाती खोलकर ही बाईपास सर्जरी की जाती है। लेकिन इसमें चीर फाड़ नहीं की गई।

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा एम्स में अभी तक २५० से भी ज्यादा रोगियों की बाईपास सर्जरी की जा चुकी है। यह पहली सर्जरी है जो छाती की हड्डी काटे बिना की गयी है।

लक्षण-
कोरोनरी आर्टरी डिजीस की वजह से तेज चलने और चढ़ाई चढ़ते वक्त सीने में दर्द, भारीपन या घबराहट की समस्या रहती है। इसके साथ ही रोगी की सांस फूलने लगती है और धड़कन तेज होने के अलावा वह बार-बार थकान महसूस करने लगता है। रोगी को कभी भी हार्ट अटैक हो सकता है।

Related posts

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विश्वविद्यालय में “प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन“ में सभी प्रवासी उत्तराखण्डियों का किया स्वागत।

khabaruttrakhand

Uttarkashi: “टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरंग के अंदर छह इंच पाइप से पहुंचाई गईं खाद्य, कपड़े, और दवाएं”

khabaruttrakhand

आयुष विभाग टिहरी गढ़वाल द्वारा ब्लॉक स्तर पर योग शिविर हुआ आयोजन।

khabaruttrakhand

Leave a Comment

Verified by MonsterInsights