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Lok Sabha Election 2024: धर्म हो या राजसत्ता…पंचपुरी के संतों की हमेशा रही महत्वपूर्ण भूमिका

Lok Sabha Election 2024: धर्म हो या राजसत्ता...पंचपुरी के संतों की हमेशा रही महत्वपूर्ण भूमिका

Lok Sabha Election 2024: पंचपुरी हमेशा धर्म और राजसत्ता को कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। यहां के संत, संंन्यासी, अखाड़े व आश्रम के परमाध्यक्ष भी कई राजनीतिक दलों की नैया पार करते हैं। शरण में आने वाले दलों में किसी को राजसत्ता मिली तो किसी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। कालांतर में इसका उदाहरण मिलता रहा है।

सनातन संस्कृति के विभिन्न मुद्दों को लेकर धर्मनगरी के संतों ने गंगा की अविरल धारा के समान लहरों को भी जन्म दिया है। जिससे देश के बड़े राजनीतिक दलों को उसका भरपूर लाभ मिला। केंद्र या राज्य दोनों की सत्ता में काबिज होने वाले कई दलों ने समय-समय पर संत समाज से प्रेरित लहर का लाभ भी लिया। यहां शरणागत होने वाले वंचित या निराश होकर नहीं गए।

साल दर साल व्यापक होता गया स्वरूप

सनातन संस्कृति के साधकों की बड़ी तपस्थली के रूप में हरिद्वार लोकसभा का साल-दर साल विस्तार होता गया। इस जिले में प्रदेश में सर्वाधिक आबादी होने से सर्वाधिक मतदाता भी हैं। यहीं से धर्मसत्ता के लिए भी कई बार रणनीति तय की गई। इसलिए बड़े राजनीतिक दलों से लेकर उनके अनुषांगिक संगठनों का पंचपुरी से विशेष लगाव रहता है। इसका जीवंत उदाहरण रहा है कि हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में लगातार छह बार BJP को जीत मिली। वहीं तीन बार कांग्रेस को भी मौका मिला। SP के टिकट पर चुनाव लड़कर राजेंद्र बाड़ी ने भी स्थानीय मुद्दे को छू दिया और देश के बड़े सदन में पहुंच गए थे।

मायावती और रामविलास ने भी आजमाए थे दांव

14 विधानसभा सीट वाली हरिद्वार Lok Sabha की सीट में तीन को छोड़ देें तो 11 मैदानी इलाके में हैं। इसे मैदान बनाने में कई दलों को मौका मिला, फिर भी वे नाकामयाब रहे। इसकी प्रकृति को बिना समझे उत्तर प्रदेश के बड़े भूभाग को छोड़कर BSP सुप्रीमो मायावती भी 1984 के उपचुनाव में दांव आजमाने पहुंचीं थीं। वहीं बिहार से सीधे धर्मनगरी का रुख रामविलास पासवान जैसे चेहरों ने भी की। हालांकि जीत Congress प्रत्याशी की हुई थी।

हर बार हरिद्वार में बढ़ा मतदान के प्रति रुझान

पिछले चार Lok Sabha चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो धर्मनगरी के मतदाताओं का मतदान के प्रति रुझान बढ़ता ही गया। राज्य गठन के बाद पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 2004 में हुआ। इसमें मत प्रतिशत 53.19 प्रतिशत से अधिक रहा। वर्ष 2009 में 61.11 प्रतिशत और वर्ष 2014 में सर्वाधिक मत पड़े जो 73.10 प्रतिशत रहा। वर्ष 2019 में एक प्रतिशत से अधिक मत घटे, इस चुनाव में कुल 72 प्रतिशत मतदान हुआ।

26 प्रतिशत मुस्लिम और 22 प्रतिशत SC वोट साधते हैं सभी दल

हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2019 के आंकड़े बताते हैं कि इसमें 26 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम और 22 प्रतिशत एससी हैं। जातीय समीकरण साधने में सफल रहे कई चुनाव के विजेता प्रत्याशियों ने कई बहुसंख्यक वर्ग को साधकर अपनी चुनावी नैया पार कर ली। इसमें वर्ष 2004 में हुए चुनाव में SP के राजेंद्र बाड़ी ने BJP समेत कई दलों को झटका दिया था। लोकसभा चुनाव में राजेंद्र की जीत के पीछे अधिकांश लोग जातीय समीकरण को साधने के साथ ही हरिद्वार को उत्तर प्रदेश में शामिल कराने के चुनावी वादे को भी कारण मानते हैं।

उलझकर रह गए हैं कई राजनीतिक दल

Lok Sabha elections में BJP को छोड़कर अभी किसी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। यहां की प्रकृति और मैदान व पहाड़ के समीकरण को समझने का फेर भी आसान नहीं है। Congress, BSP, SP जैसे दलों के प्रत्याशियों की घोषणा नहीं होने से एक तरह से राजनीतिक शून्यता नजर आ रही है। मतदाता भी मौन साधे हुए हैं।

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