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जो छात्र चार साल का स्नातक डिग्री कार्यक्रम पूरा कर रहे हैं या पूरा करने वाले हैं उनके लिए बड़ी खुशखबरी है।

जो छात्र चार साल का स्नातक डिग्री कार्यक्रम पूरा कर रहे हैं या पूरा करने वाले हैं उनके लिए बड़ी खुशखबरी है।

बताते चले कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कोर्स को पूरा करने के बाद अब वह सीधे पीएचडी के लिए प्रवेश ले सकते हैं यही नही वह अब यूजीसी नेट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।

डॉक्टरेट अध्ययन में प्रवेश के लिए, उन्हें चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम में कम से कम 75 प्रतिशत या समकक्ष अंक/ग्रेड प्राप्त करने होंगे।

जो छात्र चार साल का स्नातक डिग्री कार्यक्रम पूरा कर रहे हैं या पूरा करने वाले हैं उनके लिए बड़ी खुशखबरी है।

इस कोर्स को पूरा करने के बाद अब वह सीधे पीएचडी के लिए प्रवेश ले सकते हैं और यूजीसी नेट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया हैं कि ऐसा करने के लिए अब ऐसे विद्यार्थियों को पीजी पाठ्यक्रम पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।

हालाँकि, बताया जा रहा है कि डॉक्टरेट अध्ययन में प्रवेश के लिए, उन्हें चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम में कम से कम 75 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड प्राप्त करना होगा।

अब बताते है यह सिस्टम कब लागू होगा?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत शुरू किए गए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ाने के लिए ये महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

वहीँ इस मामले में यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम.जगदीश कुमार के मुताबिक यह व्यवस्था इसी साल लागू हो जायेगी।

इन छात्रों को छूट मिलती है।

इस अवधि के दौरान, एससी, एसटी, ओबीसी (नॉन-क्रीम लेयर), दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस छात्रों को डॉक्टरेट अध्ययन में प्रवेश के लिए पांच प्रतिशत या समकक्ष अंकों की छूट भी मिलेगी, यह भी बात कही गयी है।

इसके साथ ही चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम करने वाले छात्र अब सीधे यूजीसी नेट के लिए आवेदन कर सकते हैं।

चार साल के डिग्री प्रोग्राम के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे छात्र भी वहां आवेदन कर सकते हैं।

हालांकि यह भी रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि आवेदन के समय ही विषय निर्धारित किये जाने होंगे।

वहीं आयोग ने चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम करने वाले छात्रों को एक और महत्वपूर्ण सहायता भी प्रदान की जिसके तहत बताया जा रहा है कि यूजीसी नेट के लिए उन्हें विषय की अनिवार्यता से छूट दी गई है।

इसका मतलब यह है कि अब वह अपनी इच्छानुसार कोई भी विषय चुन सकता है।

अब उन्हें केवल वही विषय चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा जो उन्होंने स्नातक के समय के वर्ष में लिए थे।

हालाँकि, आपको आवेदन के समय ही विषयों पर निर्णय लेना होगा।

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