चमियाला के लाल का कमाल; सूबेदार सुनील सिंह नेगी ने इस कार्य मे फतह की हासिल; हो रही हर तारीफ।
टिहरी जनपद का नाम रोशन किया है चमियाला गांव के रहने वाले सूबेदार सुनील सिंग ने जिन्होंने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है माउंट एवरेस्ट,
पर क्या आपको पता है इसके अन्य नाम।
हम आपको बताते चलते हैँ
उन्नीसवीं सदी में, इस पर्वत का नाम भारत के भूतपूर्व सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था।
तिब्बती नाम चोमोलुंगमा है, जिसका अर्थ है “विश्व की देवी माँ।”
नेपाली नाम सागरमाथा है, जिसके कई अर्थ हैं।
वेसे तो अब तक कई भारतीय और विदेशी इस चोटी को फतह कर चुके है लेकिन 23 मई, 1984 की दोपहर 1:07 बजे उत्तराखंड की पहाड़ियों की एक युवती बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना आज भी एक कठिन काम है, जिसके लिए न केवल दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता होती है, बल्कि निडरता और लगभग जुनूनी इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होती है।
टिहरी के लिए बड़ी सुखद खबर है बताते चले कि टिहरी जनपद के चमियाला गाँव के मूल निवासी सूबेदार सुनील सिंह उस 22 सदस्यों की टीम का हिस्सा रहे जिन्होंने 27 मई 2025 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह की।
बताते चले कि सूबेदार सुनील सिंह 6th गढ़वाल राइफल में तैनात है।
उन्होंने हमें जानकारी देते हुए बताया कि इंडियन आर्मी का सिल्वर जुबली माउंट एवरेस्ट एक्सपीडिशन था, इसके तहत 32 सदस्यों की टीम 12 अप्रैल को नेपाल गयी थी।
इस टीम में इंडियन आर्मी के 32 सदस्य थे जो सभी ग्रुपो से थे।
वही उन्होंने बताया कि फाइनल टीम में 22 सदस्यों ने भाग लिया जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है, जब पहली बात 22 लोगों ने एक साथ इस चोटी को फतह किया है, इससे पहले कभी भी इतने सारे लोगों ने एक साथ यह नही किया है।
सूबेदार सुनील सिंह नेगी इस इस उपलब्धि से परिजनों एवं चमियाला क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना आज भी एक कठिन काम है, जिसके लिए न केवल दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता होती है, बल्कि निडरता और लगभग जुनूनी इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होती है।
लेकिन दृढ इच्छा शक्ति एवं अदम्य साहस के दम पर सूबेदार सुनील सिंह नेगी ने यह कर दिखाया है।
जो अपने आप मे एक बडी उपलब्धि है।