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योग और प्राकृतिक चिकित्सा: स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम।

योग और प्राकृतिक चिकित्सा: स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम।
वर्तमान आपाधापी व दौड़धूपभरी जीवनशैली और बढ़ते तनाव के मद्देनजर योग और प्राकृतिक चिकित्सा (नैचुरोपैथी) पद्धति हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रभावशाली साधन साबित हो सकती है।

एम्स, ऋषिकेश आयुष विभाग के विषय विशेषज्ञ बता रहे हैं कि आयुष से जुड़ी इन प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों का महत्व और उन्हें अपनाकर हमारे स्वास्थ्य को किस प्रकार से लाभ मिल सकता है। उनका कहना है कि, प्राकृतिक चिकित्सा और योग दोनों ही प्राचीन चिकित्सा प्रणालियां हैं, जो शरीर, मन और आत्मा के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं।

इनका उद्देश्य प्राकृतिक तरीकों से स्वास्थ्य को सुधारना और उसे स्वस्थ बनाए रखना है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स, ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ साथ भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों से जनसामान्य को जोड़ने, इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं चिकित्सा को सततरूप से बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा है।

संस्थान के आयुष विभाग के तहत योग व प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्धा और आयुर्वेद आदि प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ जनसामान्य को मिल रहा है।
एम्स, आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीलॉय मोहंती के अनुसार योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। योग का उद्देश्य शरीर और मन को एकीकृत करना और आंतरिक शांति प्राप्त कराना है ।
वहीं उन्होंने बताया कि योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है; यह एक सम्पूर्ण जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य व संतुलन स्थापित करता है।
आयुष विभाग की योग व प्रक्रितिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वेता मिश्र के अनुसार कई बीमारियों में कारगर हो सकते है येह विधा | प्राचीन भारत में उत्पन्न योग का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शांति प्राप्त करना है।

योगासनों (पोस्ट्चर्स), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), ध्यान (मेडिटेशन), योग विमर्श, षट्क्रिया और आहार- विहार- आचार-विचार संबंधी सुझावों के माध्यम से योग हमारी शारीरिक क्षमता,शक्ति और संतुलन बढ़ाता है व शरीर को मजबूत एवं लचीला बनाता है।
यह प्रक्रिया हमें मानसिक शांति प्रदान करती है और आत्मनियंत्रण, आत्म-जागरूकता, आत्म-विकास व दृढ़ निश्चय को सुदृढ़ करने में सहायक है । नियमित योगाभ्यास कई बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है।

कैसे कार्य करती है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति-
प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके शरीर की स्व-चिकित्सा क्षमता को बढ़ावा देती है। यह चिकित्सा विधा उपचार की स्वाभाविक शक्ति को प्रोत्साहित करती है व शारीरिक व मानसिक शक्ति को बढ़ाती है।
इस चिकित्सा प्रणाली में आहार, हर्बल उपचार जैसे हमारे आसपास के क्षेत्रों में उपलब्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग , जल चिकित्सा, धूप चिकित्सा, मालिश और जीवनशैली में बदलाव जैसी अन्य विधियां शामिल हैं ।

क्या है प्राकृतिक चिकित्सा का सिद्धांत-
प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक चिकित्सा का मुख्य सिद्धांत है कि; “शरीर में स्वाभाविक रूप से खुद को ठीक करने की क्षमता होती है ।
बस इसे सही दिशा देना व मार्गदर्शन करने की आवश्यकता होती है । “प्राकृतिक चिकित्सा न केवल शारीरिक बीमारियों का उपचार करती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी सुधारने में सहायक है व यह शरीर को बिना किसी रासायनिक दवाओं के स्वाभाविक रूप से ठीक करने में मदद करती है।
इस प्रकार यह चिकित्सा शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है। यह प्रणाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है । इन विधाओं का एकीकृत तालमेल हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

योग हमें मानसिक और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है। आज के युग में, जब हम अधिक से अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, योग और प्राकृतिक चिकित्सा हमें एक स्वाभाविक और प्रभावी समाधान प्रदान कर सकते हैं।

इन प्राचीन पद्धतियों को अपनाकर हम अपने जीवन को अधिक स्वस्थ और संतुलित बना सकते हैं।

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