मई माह में हो रही बर्फबारी उच्च हिमालई क्षेत्रों के ग्लेशियरों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं
रिपोर्ट-सुभाष बडोनी उत्तरकाशी
उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई वेमौसमी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही है।
विशेषज्ञों की माने तो उच्च हिमालयी क्षेत्र जैसे माँ गंगा का उदगम स्थल गोमुख,तपोवन में मई माह में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए बहुत लाभदायक है।
क्योंकि ग्लेशियर मेल्टिंग इस वजह से बहुत कम होती है खासकर हिमालय क्षेत्र में ताजी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए संजीवनी का काम करती है।
गोमुख तपोवन से ट्रैकिंग करके वापस छोटे ट्रैक्टरों का कहना है कि हम 9 मई के आसपास गोमुख और तपोवन ट्रैक करके वापस लौटे और हमने देखा कि गोमुख और तपोवन में अभी भी बर्फबारी रुक रुक कर जारी है गोमुख और गंगोत्री के ऊपरी क्षेत्रों में अच्छी खासी बर्फ देखने को मिल रही है।
जबकि तपोवन क्षेत्र में एक फीट बर्फ जमी हुई है जिससे ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बहुत कम हुई है यह स्थिति यदि पूरे ग्रीष्म काल तक रहती है तो यह पर्यावरण के और हिमालय के ग्लेशियरों के लिए अच्छे संकेत देने वाली बात है। बर्फबारी होने से गेलेशियरों की परतें मोटी होगी तो यह जल्दी नहीं पिघल सकेंगे अमूमन देखने में आता था कि आजकल अत्यधिक गर्मी होने के कारण ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते थे और नदियों का जलस्तर बढ़ जाता था लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा है नदियों का जलस्तर काफी कम है।
ताजा तस्वीरें 9 मई की गंगा के उद्गम गोमुख की हैं जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार ग्लेशियर बर्फबारी से कितने रिचार्ज हुए हैं गंगोत्री, गोमुख ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार कम होने से नदी का जलप्रवाह कम है।
ऊपरी इलाकों में बर्फ जमी हुई है। ऐसे में ग्लेशियर नहीं पिघल रहे हैं। इसका सीधा असर जल विद्युत परियोजनाओं में बिजली संकट पड़ सकता है।