ईसीएचएस कई टिहरी में विगत कई दिनों से ठप्प पड़ा है रेफ़रल कार्ड रीडर मशीन का सर्वर , बीमार पूर्व सैनिकों एवं परिजनों को हो रही भारी फ़ज़ीहत ।
यह मामला ईसीएचएस कई टिहरी का जहां ईसीएचएस पॉलिक्लिनिक में 10-12 दिन से ज़्यादा समय से बीमार पूर्व सैनिक एवं परिवारों का रेफ़रल सिस्टम ठप्प पड़ा हुआ है , हैरानी की बात यह है कि यह के इंचार्ज ने यहाँ की ज़िम्मेदारी भी नहीं उठायी की इस सूचना को प्रेस या अन्य संचार के माध्यम से टिहरी के दूर दराज रहने वाले पूर्व सैनिकों को किसी तरह से पहुँचायी जा सके ताकि उनकी फजीहत नई टिहरी आने से बच जाए।
अब आलम यह है कि रोज़ाना टिहरी के दूर दराज क्षेत्र से पूर्व सैनिक यहां अपना समय और पैसा बर्बाद करके पहुचं रहे है जिसके बाद उन्हें ख़ाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
टिहरी आकर उन्हें पता चल रहा है कि यहाँ सर्वर ही काम नहीं कर रहा है
इस तरह से साफ़ देखा जा सकता है कि पूर्व सैनिकों एवं परिवारों की केवल फ़ज़ीहत ही टिहरी ईसीएचएस कार्यकाल में आकर हो रही है।
यहां से उन्हें देहरादून और रायवला जाने की सलाह दी जा रही है जबकि यही बात अगर उन्हें पहले से पता रहती तो वो सायद यहाँ नहीं आते उनकी फ़ज़ीहत नहीं होती ।
ज़िम्मेदार कुर्सियो पर आराम फ़रमा रहे है और बीमार पूर्व सैनिक एवं परिवार बस नई टिहरी और उसके बाद रायवाला और देहरादून के धक्के खाने को मजबूर हो रहे है।
मजे की बात यह है कि जब रिटायर्ड पेट्टी ऑफिसर उनियाल आआज ईसीएचएस नई टिहरी पहुँचे और उन्हें इस बाबात पता चला तो उन्होंने वहां के कर्नल इंचार्ज से कहा कि आप कम से कम एक सूचना तो प्रेस के माध्यम से लोगों तक पहुँचा दो जिसपर मीडिया के लिए कॉई वीडियो बयान तो नही दिया लेकिन एक लिखित सूचना दी लेकिन उसके लिए भी बाकायदा उनसे उनकी पूरी डिटेल मांगी गई, जो एक तरह का दवाब बनाने की कोशिश की गई।
अब समझने वाली बात यह है कि आख़िर ऐसी किस कंपनी को रखाव का काम दिया है जो समय रहते इसको पूरा करने में नाकाम है।
सबसे बड़ा सवाल यह है किसी ने भी यह जिम्मेदारी नही समझी की दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वाले बीमार पूर्व सैनिक जिनको इस सुविधा का लाभ अपनी बीमारियों के लिए लेना है और जिसके लिए रेफेरल के लिए वे नई टिहरी आते है उनको समय रहते यह सूचना दे दी जाय।
वहॉ 10 -12 दिनों से ज्यादा समय बीतने पर भी मशीन का सर्वर सही नही हो पाया है यह अपने आपमें एक बड़ा सवाल है।
दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वाले बीमार पूर्व सैनिकों एवं परिजनों पर सिस्टम की यह लाचारी या लापरवाही भारी पड़ रही है।