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मान्यता: इस स्थान पर मिला था भगवान विष्णु को सुर्दशन चक्र, जाने क्यों निसन्तान दंपतियों करती है रातभर खड़ा दिया अनुष्ठान। इस बार पहुँची विदेशी दंपति भी।

जिस प्रसिद्ध स्थली की तस्वीर आप देख रहे है उस स्थान के बारे में पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बताया जाता है कि एक बार देवता दानवों से पराजित हो गए थे।

वहीं तब देवता भगवान विष्णु की शरण में चले गए थे , कहा जाता है कि तब दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने इस स्थान पर भगवान शिव की तपस्या करने पहुंचे थे ।
यह स्थान है कमलेश्वर मंदिर जो स्थित है पौड़ी ज़िले के श्रीनगर में।

अब आपको बताते चलें कि पूजा के दौरान भगवान विष्णु ने शिव सहस्रनाम के अनुसार शिवजी के नाम का उच्चारण कर सहस्र कमलों को एक-एक कर शिवलिंग पर चढ़ाने लगे।

वहीं, भगवान शिव द्वारा विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उन्होंने एक कमल का फूल छिपा लिया था।
वही बताया जाता है कि एक कमल का फूल कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े।

इसके लिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया ।

इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया, जिससे उन्होंने राक्षसों का विनाश किया था।

आपको बताते चलें कि वैकुंठ चतुर्दशी पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में इस बार 177 दंपति खड़ा दीया अनुष्ठान में शामिल हुए।

वहीं इस बार खास बात यह थी कि इस कार्यक्रम में सुदूर देश पोलैंड से पहुँचे विदेशी दंपति क्लाऊडिया स्टेफन ने भी बखूबी खड़ा दीया अनुष्ठान में भाग लिया।

गुरुवार को गोधूलि बेला से यह अनुष्ठान शुरू हुआ, जो शुक्रवार सुबह तक चला.

177 दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान में लिया हिस्सा:

यहाँ यह भी बताते चलें कि इस बार खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए 216 से ज्यादा दंपतियों ने पंजीकरण करवाया था।
वहीं इसमें से केवल 177 दंपतियों ने ही अनुष्ठान में हिस्सा लिया था जबकि, बीते साल यानी 2023 में 200 से ज्यादा दंपति अनुष्ठान में शामिल हुए थे।

इस बार गुरुवार यानी 14 नवंबर की शाम गोधूलि बेला पर शाम 6 बजे कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर खड़ा दीया अनुष्ठान का शुभारंभ किया था।

वहीं इस अनुष्ठान के तहत महिलाओं के कमर में एक कपड़े में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा एवं चावल की पोटली बांधी जाती है , जिसके बाद महंत द्वारा सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखते हुए पूजा अर्चना कराई जाती है ।

वहीं यहाँ दंपतियों ने रातभर हाथ में जलता दीया लेकर भगवान शिव की आराधना की।

शुक्रवार की सुबह स्नान आदि के बाद महंत ने दंपतियों को आशीर्वाद दिया और पूजा संपन्न करवाई गई।

मान्यताएँ है जिसके अनुसार कहा जाता है कि रातभर हाथों में दीया लेकर खड़ा होने पर निःसंतान दंपतियों द्वारा आराधना करने पर संतान की प्राप्ति होती है।

मान्यता के अनुसार :-भगवान विष्णु ने महादेव की थी जब आराधना की थी उस समय की मान्यताओं के अनुसार देवासुर संग्राम में जब देवताओं की हार होने पर भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, तो इस आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया,

वही उस समय इस अदभुत एवं दिव्य पूजा को एक निसंतान दंपति भी देख रहा था,
उस दंपति को देवी पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वर दिया था , और माना जाता है कि तब से लेकर यह खड़ा दिया का अनुष्ठान लगातार सन्तान प्राप्ति के लिये किया जा रहा है ।

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