Haldwani:बनभूलपुरा में पुलिस व प्रशासन की ओर से दंगाइयों पर सख्त एक्शन जारी है। बवाल मामले में खुफिया एजेंसियों पर उठ रहे सवालों के बीच स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) की रिपोर्ट भी लीक चुकी है। लीक रिपोर्ट में मस्जिद-मदरसा ध्वस्त किए जाने की स्थिति में भारी विरोध, योजनाबद्ध तरीके से महिलाओं व बच्चों को आंदोलन के आगे कर बड़े बवाल की आशंका भी जता दी गई थी।
31 जनवरी से तीन फरवरी तक LIU ने अलग-अलग रिपोर्ट में बता दिया था कि पर्याप्त फोर्स की उपलब्धता जरूरी है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने भी पूरी तैयार कर ली थी। लेकिन आठ फरवरी को जैसे ही High Court ने मलिक का बगीचा प्रकरण में नगर निगम के नोटिस को लेकर याचिकाकर्ताओं को तत्काल राहत से इन्कार किया तो नगर निगम व प्रशासन भी तुरंत एक्शन में आ गया।
टीम ने खद्दारी तोड़ने के लिए शाम में जल्दी से पहुंचा और 8 फरवरी को शहर में अफसोस मचा दिया। पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती के बावजूद, दंगाइयों को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। बनभूलपुरा दंगों में 100 से अधिक पुलिसकर्मियों की चोट होने वाले घटना के बाद, खुफिया एजेंसियों की असफलता पर ब्यूरोक्रेसी और अन्य खंडों में गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इसी बीच, सूचना विभाग का गोपनीय पत्र लीक हो गया है। जिसमें 31 जनवरी से 3 फरवरी तक भेजी गई रिपोर्टें शामिल हैं। सूचना मुख्यालय से भेजे गए रिपोर्ट के अनुसार, 31 जनवरी को कुमाऊं कमीशनर दीपक रावत के साथ बातचीत के बाद, जमियत उलेमा-ए-हिन्द के कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र की संवेदनशीलता की रिपोर्ट दी थी।
उसी दिन की दूसरी रिपोर्ट में कहा गया था कि बनभूलपुरा में मुस्लिम अधिक बसे क्षेत्र में नमाजगाह-मदरसा के कबाड़े होने की स्थिति में बड़े प्रदर्शन की संभावना है, इसलिए समय पर उचित क्रियावली की जानी चाहिए। 2 फरवरी को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सुबह में खिलवार की क्रियावली करनी चाहिए, ड्रोन द्वारा वीडियोग्राफी करनी चाहिए, क्षेत्र में PAC का दौरा करना चाहिए, धार्मिक ग्रंथ और प्रतीकों को संबंधित मौलवी को सौंपना चाहिए।
इसके अलावा, विधायिका अब्दुल मलिक को नोटिस देने और धार्मिक स्थान के कबाड़े के खिलाफ प्रतिष्ठान करने वाले की निंदा करने में बाधा होगी, इसलिए इस मामले में अत्यंत संवेदनशील होने की आवश्यकता है। 3 फरवरी को, LIU ने रिपोर्ट की है कि यदि किसी की इस्तेमाल की जाती है तो इस घटना के संबंध में योजनाबद्ध हमले के मामले में आंदोलन की संवेदनशीलता के संबंध में जिला और पुलिस प्रशासन को रिपोर्ट भेजी गई है।