– हृदय स्वास्थ्य के लिए कार्डियो वैक्सुलर एक्सरसाइज जरूरी
– एम्स में देश-विदेश के नामचीन कार्डियोलाॅजिस्टों ने किया मंथन
– यूकेसीएसआई के तीन दिवसीय सम्मेलन का हुआ समापन।
एम्स ऋषिकेश में आयोजित यूकेसीएसआई के द्वितीय वार्षिक सम्मेलन के अंतिम दिन डीएम और डीएनबी मेडिकल छात्रों के लिए हृदय रोगों से संबन्धित विशेष ज्ञानवर्धक सत्रों का आयोजन किया गया। देश भर के नामचीन कार्डियोलाॅजिस्ट विशेषज्ञों ने इन विभिन्न सत्रों को संबोधित करते हुए हृदय स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए विभिन्न टिप्स सुझाए और कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज अपनाने पर जोर दिया।
हृदय रोगों और उनके समुचित निदान के बारे में विभिन्न स्तर पर चिंतन और मंथन करने के साथ-साथ इलाज की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने के ऐजेन्डे को आगे बढ़ाते हुए एम्स में आयोजित कार्डियोलाॅजिस्ट सोसाईटी ऑफ इन्डिया, उत्तराखण्ड चैप्टर (यूकेसीएसआई) का वार्षिक सम्मेलन समाप्त हो गया। सम्मेलन के अंतिम दिन डीएम और डीएनबी पाठ्यक्रम वाले मेडिकल के छात्रों के लिए अलग-अलग ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में मास्टर क्लास के माध्यम से ’ए काॅन्टून्यूइंग वर्डन इन माॅडर्न कार्डियोलाॅजी, हृदय रोगों की जन्मजात बीमारियों और उनसे जीवनभर रहने वाली चुनौतियों सहित ’कार्डियो एक्जिट प्रेप’ पर विस्तृत व्याख्यान दिए गए। देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञों ने बताया कि जीवन भर हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कार्डियो वैक्सुलर एक्सरसाइज बहुत लाभकारी होती है। बताया कि इससे हार्ट हेल्थ में सुधार, वजन प्रबन्धन, रेस्पिरेटरी फंक्शन में सुधार, ब्लड शुगर नियंत्रण और शरीर का इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है। कार्यक्रम को सम्मेलन के मुख्य अतिथि पीजीआई चण्डीगढ़ के पूर्व निदेशक और पीएसआरआई अस्पताल दिल्ली के कार्डियक साईंसेज चेयरमैन प्रो. के.के. तलवार, एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी सहित अन्य अतिथियों ने भी संबोधित किया।
विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार जन्मजात हृदय रोगों से व्यक्ति को जीवन भर विभिन्न प्रकार की चुनौतियों से लड़ना पड़ता है। बताया गया कि सांस लेने में दिक्कत, तेज धड़कन, वजन का न बढ़ना, कार्य करने पर थकान और फेफड़ों में बार-बार संक्रमण होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। सत्र के दौरान कार्डियोलाॅजिस्टों ने इन बीमारियों के इलाज हेतु कार्डियक कैथीटेराइजेशन और इलैक्ट्रोकार्डियोग्राम व सीटी स्कैन जैसी आधुनिक जांच तकनीकों और इलाज की बेहतर पद्धति अपनाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मेलन के आयोजन सचिव और एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. बरूण कुमार ने बताया कि सम्मेलन के दौरान बढ़ते हृदय रोगों के बारे में चिन्ता व्यक्त कर इन रोगों के समय पर तकनीक आधारित बेहतर निदान हेतु व्यापक मंथन किया गया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर के कार्डियोलाॅजिस्ट विशेषज्ञों के अलावा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ डाॅ. फिरोज अब्दुल, डाॅ. चेतन वर्मा और डाॅ. विनोद शर्मा आदि ने विभिन्न विषयों पर विशेष लाभकारी व्याख्यान दिए।
सम्मेलन में एम्स की चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या श्री बलिजा, आयोजन समिति के डाॅ. अमरपाल गुल्हाटी, डाॅ. भानु दुग्गल, बरूण कुमार, डाॅ. अमर उपाध्याय, डाॅ. प्रीति शर्मा, डाॅ. तनुज भाटिया, डाॅ. राजप्रताप सिंह, डाॅ. पुनीश सडाना, डाॅ. प्रमोद जोशी, डाॅ. प्रकाश पन्त, डाॅ. शिष्यपाल सिंह, डाॅ. सलिल गर्ग, डाॅ. योगेन्द्र सिंह और डाॅ. अनुराग रावत सहित डाॅ. नागेश्वर राव, डा. प्रणय जयप्रकाश, डाॅ. अभिमन्यु निगम, डाॅ. राजप्रताप सिंह, डाॅ. दिनेश महाला, डाॅ. अनिता सक्सैना, डाॅ. सौरभ गुप्ता, डाॅ. विवेक चतुर्वेदी, डाॅ. अमर पाल सिंह गुल्हाटी, डाॅ. पुनीश सडाना, डाॅ. एस. रामाकृष्णा, डाॅ. अमर उपाध्याय और विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल काॅलेजों के हृदय रोग विशेषज्ञ व मेडिकल के छात्र मौजूद रहे।

