नई दिल्ली(देश की राजधानी):-
महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास हो गया।
बुधवार को इसके पक्ष 454 हाँ वोट और केवल दो वोट नहीं थे।
यह बिल लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से पारित हो गया, इससे पहले विधेयक पर चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिल पर बहस में हिस्सा लिया और इसमें ओबीसी को आरक्षण देने की मांग की।
वहीं उन्होंने केंद्र पर ओबीसी की अनदेखी का भी आरोप लगाया गया है.
राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिक्रिया दी।
महिला आरक्षण कानून पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण, परिसीमन के मुद्दे या जनगणना के मुद्दों पर सवाल उठाए जाएंगे। मैं उन सभी का उत्तर देता हूं।
सबसे पहले, वर्तमान संविधान में तीन प्रकार के प्रतिनिधि हैं: सामान्य श्रेणी, एससी श्रेणी और एसटी श्रेणी।
इन तीन श्रेणियों में, हमने महिलाओं के लिए 33% सीट बुकिंग की।
और अगर एक तिहाई सीटें आरक्षित हो गईं तो उस सीट का फैसला कौन करेगा? क्या हमें करना चाहिए?
अगर वायनाड संसदीय सीट आरक्षित हो गया, तो फिर वे कहेंगे कि हम राजनीति खेल रहे थे।
महिला आरक्षण बिल पर बहस में हिस्सा लेने पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि वह महिला आरक्षण का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण एक बड़ा कदम था।
उन्होंने कहा कि इस बिल में ओबीसी के लिए भी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए था, महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी आरक्षण नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए।
राहुल गांधी ने इस बिल को बताया आधा अधूरा ।
वहीं, ओवेसी ने महिला आरक्षण बिल को नो-चेक बिल बताया।
उन्होंने आरोप लगाते हुए इसे ओबीसी विरोधी और मुस्लिम विरोधी बताया।
औवेसी ने कहा कि ये विनाश का कानून है,
ओवैसी ने लोकसभा में जैन समुदाय से कोई सांसद नहीं होने पर सवाल उठाया
उन्होंने पूछा कि क्या गृह मंत्री अमित शाह खड़े होकर बता सकते हैं कि जैन सांसद क्यों नहीं हैं?
उन्होंने ये भी कहा कि 1984 के बाद से गुजरात से एक भी मुस्लिम सांसद क्यों नहीं बना?
वही उन्होंने बड़ी बात कहते हुये कहा कि मैं सरदार पटेल और नेहरू पर संविधान सभा में मुस्लिम समुदाय को धोखा देने की बात कही।
उनका उस मामले में रूख था जो उन्होंने अपनी बातों से जाहिर किया कि यदि वह लोग ईमानदार होते तो इस सदन में मुसलमानों का बेहतर प्रतिनिधित्व होता।