सार
आगरा में बीते दो साल में सौर ऊर्जा प्लांट की संख्या में सात गुना वृद्धि हुई है। इसके सुखद परिणाम हैं कि हर साल करीब 1.20 करोड़ यूनिट बिजली की बचन होती है। साथ ही जिन घरों में सौर ऊर्जा प्लांट लगा हुआ है, वे बिजली बिल भी बचा रहे हैं।
सौर ऊर्जा प्लांट
– फोटो : अमर उजाला
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आपने ‘आम के आम और गुठलियों के दाम’ कहावत सुनी होगी। सोलर रूफ टॉप प्लांट की नेट मीटरिंग प्रणाली से यह चरितार्थ हो रही है। ताजनगरी में 710 घर ऐसे हैं जो सूरज से ऊर्जा ले रहे हैं। हर साल करीब 1.20 करोड़ यूनिट बिजली बचा रहे हैं। इन्हें करीब 8.40 करोड़ रुपये का बिल नहीं भरना पड़ रहा। ये सौर ऊर्जा प्लांट से मिली अतिरिक्त बिजली को बेच भी रहे हैं। यह राशि उनके बिजली बिल में समायोजित हो जाती है। नेडा (न्यू एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी) के अनुसार करीब 2.50 लाख यूनिट का बिलों में समायोजन हो रहा है।शहर में बिजली आपूर्ति व्यवस्था टोरंट कंपनी संभाल रही है। एक यूनिट की कीमत करीब सात रुपये आती है। टोरंट कंपनी के अनुसार शहर में 4.75 लाख उपभोक्ता हैं। कुल डिमांड औसतन 420 मेगा वॉट है। सौर ऊर्जा से डिस्कॉम (डीवीवीएनएल) पर निर्भरता घटाने की कवायद रंग ला रही है। नेट मीटरिंग प्रणाली से उपभोक्ता आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इसके तहत आप सौर ऊर्जा प्लांट लगाएं और अतिरिक्त बिजली को कंपनी को बेच सकते हैं।
सौर ऊर्जा प्लांट की संख्या सात गुना बढ़ी परियोजना प्रबंधक नेडा पीएन पांडे ने बताया कि बीते दो साल में सौर ऊर्जा प्लांट की संख्या में सात गुना इजाफा हुआ है। वर्ष 2019 में शहर में करीब 80 उपभोक्ता सोलर रूफ टॉप नेट मीटरिंग प्रणाली पर निर्भर थे। वर्ष 2021 में 710 घरों में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है। इन घरों में बिजली की जरूरत का 80 फीसदी हिस्सा सौर ऊर्जा से प्राप्त किया जाता है। इस तरह हर साल करीब 1.20 करोड़ यूनिट बिजली बचा रहे हैं। इन घरों में रहने वाले परिवारों का हर साल करीब 8.40 करोड़ रुपये बिजली के बिल का बच रहा है।8 हजार रुपये बच रहेकमला नगर के राकेश अग्रवाल ने कहा कि मैंने एक लाख रुपये खर्च किए। 5 किलो वॉट का सोलर प्लांट लगवाया। पहले हर माह 10 से 12 हजार का बिल भरना पड़ता था। अब 2 से 4 हजार रुपये बिल आता है।
एक बार आता है खर्च
आवास विकास निवासी गोविंद खुराना ने कहा कि रूफ टॉप प्लांट लगवाने पर एक बार खर्चा आता है। पांच साल तक मैंटीनेंस फ्री है। मैंने 3 किलो वॉट के सोलर प्लांट के लिए 75 हजार रुपये खर्च किए। करीब 45 हजार रुपये सब्सिडी मिली थी।
दक्षिणांचल ने दो साल में बचाई 60 हजार यूनिटदक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर 15 किलो वॉट का सोलर प्लांट लगा है। दो साल में 60 हजार यूनिट बिजली बचाई जा चुकी है। विकास भवन, कलक्ट्रेट व अन्य सरकारी दफ्तरों में हर साल 1.5 से 2 करोड़ रुपये तक बिजली बिल में कमी का दावा अधिकारियों ने किया है।
425 घरों में 1200 किलो वॉट उत्पादनशहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण व आस-पास क्षेत्रों में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने 425 घरों में सोलर प्लांट लगाए हैं। यहां करीब 1200 किलो वॉट बिजली सूरज से बन रही है। मुख्य अभियंता अंशुल अग्रवाल ने बताया कि 330 घरों में और सौर संयंत्र लगाए जा रहे हैं। जिनकी क्षमता 3300 किलो वॉट होगी।
एक किलो वॉट पर 15 हजार रुपये सब्सिडी
एक किलो वॉट के सोलर रूफ टॉप प्लांट की लागत करीब 38 हजार रुपये है। 15 हजार रुपये सब्सिडी मिलती है। करीब 23 हजार रुपये में एक किलो वॉट का प्लांट स्थापित हो जाता है। इसकी पांच साल तक मैंटीनेंस कार्यदायी संस्था करती है। उपभोक्ता स्वीकृत लोड के मुताबिक क्षमता का सोलर प्लांट लगवा सकते हैं।
ऊर्जा संरक्षण की ये कवायद भी- कृषि ट्यूबवेल पर 5 हॉर्स पॉवर की सोलर मोटर लगाई जा रही है। जिसका कोई पैसा किसान से नहीं लिया जा रहा। 1500 सोलर मोटर लगाई जा चुकी हैं।- जिन किसानों पर चार एकड़ भूमि है वह एक मेगा वॉट का सौर उर्जा प्लांट लगा सकते हैं। दो रुपये यूनिट बिजली ग्रिड को बेच कर आर्थिक लाभ ले सकते हैं। शर्त ये है कि सोलर प्लांट के लिए भूमि का एग्रीमेंट 25 साल के लिए करना होगा।- एलईडी, स्टार रेटिंग होम एप्लाइंसिस व ऐसे उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कम बिजली की खपत हो। जिले में 98 फीसदी घरों में एलईडी लाइट का उपयोग हो रहा है।(जैसा कि डीवीवीएनएल के वाणिज्यिक निदेशक एसके गुप्ता ने बताया)
दो साल में दिखेगा बड़ा बदलावदक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अमित किशोर ने बताया कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं आई हैं। कुछ शुरू हो गई हैं। अगले दो साल में हर क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्लांट लगे होंगे। बड़ा बदलाव दिखेगा। राष्ट्रहित में बिजली बचेगी। इस क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं।
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आपने ‘आम के आम और गुठलियों के दाम’ कहावत सुनी होगी। सोलर रूफ टॉप प्लांट की नेट मीटरिंग प्रणाली से यह चरितार्थ हो रही है। ताजनगरी में 710 घर ऐसे हैं जो सूरज से ऊर्जा ले रहे हैं। हर साल करीब 1.20 करोड़ यूनिट बिजली बचा रहे हैं। इन्हें करीब 8.40 करोड़ रुपये का बिल नहीं भरना पड़ रहा।
ये सौर ऊर्जा प्लांट से मिली अतिरिक्त बिजली को बेच भी रहे हैं। यह राशि उनके बिजली बिल में समायोजित हो जाती है। नेडा (न्यू एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी) के अनुसार करीब 2.50 लाख यूनिट का बिलों में समायोजन हो रहा है।
शहर में बिजली आपूर्ति व्यवस्था टोरंट कंपनी संभाल रही है। एक यूनिट की कीमत करीब सात रुपये आती है। टोरंट कंपनी के अनुसार शहर में 4.75 लाख उपभोक्ता हैं। कुल डिमांड औसतन 420 मेगा वॉट है। सौर ऊर्जा से डिस्कॉम (डीवीवीएनएल) पर निर्भरता घटाने की कवायद रंग ला रही है। नेट मीटरिंग प्रणाली से उपभोक्ता आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इसके तहत आप सौर ऊर्जा प्लांट लगाएं और अतिरिक्त बिजली को कंपनी को बेच सकते हैं।