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राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर यहां ‘‘कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियमल इंटेलिजेंस) के युग में मीडिया‘‘ विषय पर एक विचार गोष्ठी का किया गया आयोजन ।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर गुरूवार को सूचना केन्द्र, जिला सूचना कार्यालय, टिहरी गढ़वाल में ‘‘कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियमल इंटेलिजेंस) के युग में मीडिया‘‘ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी में उपस्थित सभी सम्मानित पत्रकार बन्धुओं द्वारा अपने-अपने विचार व्यक्त किये गये।

भारतीय प्रेस परिषद नई दिल्ली एवं निदेशालय सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग उत्तराखण्ड देहरादून के निर्देशन एवं जिला सूचना कार्यालय, टिहरी गढ़वाल तत्वाधान में आयोजित गोष्ठी में जिला सूचना अधिकारी/जिला सेवायोजन अधिकारी विनायक श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता सामाजिक सरोकार से जुड़ा क्षेत्र है।

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियमल इंटेलिजेंस (एआई ने पत्रकारिता को पहले की तुलना में काफी सक्षम बनाया है, वास्तविक समय और ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करने मंे एआई का उपयोग हो रहा है।

यह घटनाओं को प्रभावित करने वालों की पहचान करने और दर्शकांे से जुड़ाव संबंधी काम भी करता है।

इसने पत्रकारों के सामने सीखने और जवाबदेही की नई चुनौतयां भी खड़ी कर दी है।

पत्रकारिता की स्पष्ट समझ के बगैर कोई भी तकनीक एक बेहतर समाज की ओर नहीं जाएगी।

इससे पूर्व अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी भजनी भण्डारी द्वारा सभी मीडिया प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय प्रेस दिवस की बधाई दी गई तथा कृत्रिम मेधा के युग में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

गोष्ठी में उपस्थित अध्यक्ष, न्यू टिहरी प्रेस क्लब शशि भूषण भट्ट, अध्यक्ष प्रेस क्लब मुनिकीरेती सूर्यचन्द्र सिंह चौहान, महासचिव न्यू टिहरी प्रेस क्लब गोविन्द पुण्डीर, गोविन्द बिष्ट, जयप्रकाश कुकरेती, मुकेश रतूड़ी, संजय बडोला, जय प्रकाश पाण्डेय, भगवान सिंह रावत, मुनेन्द्र नेगी, शीशपाल सिंह रावत द्वारा पत्रकारिता एवं एआई के युग में मीडिया की भूमिका पर अपने-अपने विचार एवं सुझाव रखे गये।

मीडिया प्रतिनिधियों ने कहा कि किसी भी तरह की मीडिया में प्रकाशित/प्रसारित समाचार जनहित में हो और उनमें पारदर्शिता एवं तत्थ्यामकता होना बहुत जरूरी है, ताकि समाज के बीच एक अच्छा संदेश जाये।

आधुनिकीकरण के इस युग में पत्रकारिता का स्वरूप बदला है, हर एक का अच्छा बुरा पहलू होता है, इसी के अनुरूप अपडेट होने की जरूरत है।

फर्जी खबरों को प्रकाशित/प्रसारित करने वालों के लिए नियम बनाने एवं भाषा के प्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया, ताकि अर्थ का अनर्थ न हो, कोई भ्रमित न हो, समाचारों की विश्वसनीयता बनी रहे।

इसके साथ ही समाज को जागृत करने, लोकतंत्र को जीवित रखने, पत्रकारों की सुरक्षा आदि को लेकर केन्द्र एवं राज्य स्तर पर पत्रकारों हेतु ठोस नीति बनाने का सुझाव दिया गया।

उन्होंने हा कि प्रिन्ट मीडिया जिंदा दस्तावेज है, खबरों में प्रतिक्रियाएं आवश्यक हैं तथा पत्रकारों को जागरूक एवं स्वतंत्र होकर रिपोर्टिंग करना जरूरी है।

इस अवसर पर पत्रकार बन्धुओं द्वारा सुझाव दिया गया कि भारतीय प्रेस परिषद का अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार से होना चाहिए, प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता हेतु प्रचार-प्रसार हो, राज्य स्तर पर दी जाने वाली पत्रकार पेंशन में शिथिलीकरण हो तथा विज्ञापन/प्रेस मान्यता समिति में जनपद स्तर से भी सदस्य नामित किये जायें, साथ ही जिन पत्रकारांे द्वारा राज्य आंदोलन मंे भागीदारी निभाई गई, उन्हें विशेष कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाना चाहिए।

इस मौके पर मीडिया प्रतिनिधि गंगा थपलियाल, विजय गुंसाई, मधुसूदन बहुगुणा, धनपाल गुनसोला, जोत सिंह बगियाल, सूर्यप्रकाश रमोला, बलवन्त रावत, अजयपाल सिंह पंवार, रोशन थपलियाल, प्रदीप शाह, धनीराम बिजांेला, संजय बडोला, अरूनभ रतूड़ी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं जिला सूचना कार्यालय के कार्मिक उपस्थित रहे।

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