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दावे और हकीकत:-मरणासन्न की स्थिति में पहुँच गया यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,यहां तो इलाज करने वाले अस्पताल को हो गयी इलाज़ की सख्त जरूरत।

दावे और हकीकत:-मरणासन्न की स्थिति में पहुँच गया यह सामुदादावे और हकीकतयिक स्वास्थ्य केंद्र ,यहां तो इलाज करने वाले अस्पताल को हो गयी इलाज़ की सख्त जरूरत।

स्वास्थ्य को लेकर हो रहे दावे और वादे तो अक्सर आप मीडिया के माध्यम से नेताओ द्वारा जनता को भेजे जा रहे संदेशों में सुनते और पढ़ते रहते हैं।

ऐसी खबरों से जनमानस खुसी की आस में लोट पोट हो जाता है कि बस अब तो झटके में व्यवस्था सुधर जाएगी।
बुजुर्ग और बीमार इस आस में अपने हौसलों को और भी बुलंद कर देते है कि अब वह दिन दूर नही जब सबकुछ ठीक हो जाएगा।

लेकिन जब टिहरी जनपद के इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत देखते है तो लगता है कि केवल जनता को बेहतर सुविधा देने के सब्जबाग दिखया जाता रहा है।

टिहरी जनपद के बेलेश्वर मठियाली में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बेलेश्वर की हालत वर्तमान समय में बद से बदतर हो गए है।

घनसाली विधानसभा के एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर की अगर वर्तमान हालातो में बात करे तो जहां 8 से 10 डॉक्टरों की टीम होने चाहिए थी जिसमे स्पेसिलिस्ट डॉक्टर भी शामिल है उनमें से यहां मात्र 2 एमबीबीएस डॉक्टर ही मौजूद है।

बेहद दुरस्त क्षेत्र से जुड़े इस विधानसभा में आज मानो स्वास्थ्य सेवाएं मानो पूरी तरह से दम तोड़ने पर आमादा है, बेलेश्वर अस्पताल की वर्तमान हालात को देखकर तो यही लगता है।
अब हालात यह है कि दुरस्त क्षेत्रों से ग्रामीण अपनी बेमारी के इलाज के घनसाली और चमियाला बाजारों में ही जाते है इस अस्पताल में नाममात्र के मरीज ही देखने को मिलते है।

ऐसा नही है कि सब लोग स्वस्थ है लेकिन लोगों को अब इस अस्पताल की व्यवस्था पर भरोसा ही नही रह गया है।
स्थानीय लोगों में इस अस्पताल की दुर्दशा को देखकर रोष पनप रहा है।
लोगों की आंखों में इस अस्पताल की दुर्दशा को देखकर आंसू आ जाते है कि आखिर क्या इसी दिन के ये स्थनीय लोगों ने अपनी जमीन और पैसे इस अस्पताल के लिए दान किया था।
अब बस लोग ठगे के ठगे रह गए हैं।

वही इस अस्पताल परिसर में लाखो रुपये खर्च करके शो पीस बना यह सचल वाहन विभाग की जिंदादिली का एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहा है।

वहीं इस मामले में जब हमारे द्वारा टेहरी सीएमओ डॉ मनु जैन से बात की गई तो उनका कहना था कि बॉंडधारी डॉक्टर काम करने को ही तैयार नही है।
उन्होने बताया कि ये आते ही पीजी की तैयारी में लग जाते है और जब मर्जी तब छुट्टी चले जाते है ऐसे डॉक्टरों से काम लेना विभाग को काम लेना बहुत मुश्किल भरा है।

वर्तमान समय मे टिहरी जनपद में 15 से 20 बॉंडधारी डॉक्टर छुट्टी पर चल रहे है।

एक तरफ सरकार की तरफ से बॉण्डधारी डॉक्टरो से सेवाएं लेने के लिए कई नियम कानून बनाये गए है वही अब इन्ही डॉक्टरों से काम लेना मानो विभाग के लिए नाखों चने चबाने वाली स्थिति बन गयी है।

वर्तमान समय मे जहाँ दूरस्थ क्षेत्री के ग्रामीण केमिस्ट पर भरोसा कर अपना इलाज़ करवाने को तैयार है और उनके पास अच्छे खासे मरीजो की तादात रहती है वही 30 बेड वाले अस्पताल और डिग्री धारक डॉक्टरों से लोगों का मानो भरोसा ही उठ गया हो।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्ड बेलेश्वर की ओपडी इस बात की और इशारा करती है कि सरकारी अस्पतालों पर लोगो का अब भरोसा शायद पहाड़ो में खत्म हो चुका है।
ऐसे हालात में ग्रामीणों के इलाज के लिए बनाए गए इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को स्वयं ही इलाज़ की आवश्यकता पड़ रही है यह ऐसा लगता यही मानो मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया हो।
दावे और हकीकत जमीन पर कही भी टिकते नजर नही आ रहे है।
लोगों के साथ स्वास्थ्य सेवाओ के नाम पर केवल धोखा ही हो रहा है।
अच्छी खासे भवन वाले इस अस्पताल की स्थिति का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते है कि सीएचसी के लिए प्रभारी भी पीएचसी केन्द्र में सेवा देने वाले डॉक्टरों को दिया जा रहा है।

अब ऐसे क्यो हो रहा है वह भी अपने आपमें एक सवाल है।
वही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी की बात करें तो वह फ़ोन उठाने को भी तैयार नही है।
अब अस्पताल की इस स्थिति को देखकर यही लगता है कि जनता त्रस्त है और नेताजी मस्त है।

आखिर ऐसे रुकेगा पलायन ,कैसे इस भारी भरकम शब्द पर राहत पहाड़ के बाशिंदों को मिलती दिखेगी वह अभी इन हालातों में बहुत बड़ा विषय बना हुआ है।

घनसाली क्षेत्र के लोगों को कभी बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल भी पायेगा वह एक बड़ा सवाल है।

वही स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बात करे तो सभी कहीं ना कही बातों  की मीठी गोली देकर  जनता को टरकाने की कोशिस में लगे हुए।

सवाल यह है कि बिल्ली के गले मे घण्टी कौन बांधेगा।

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