khabaruttrakhand
आकस्मिक समाचारउत्तराखंडटिहरी गढ़वालदिन की कहानीदुनियाभर की खबरेराष्ट्रीयविशेष कवरस्वास्थ्य

डेढ़ साल की मासूम के लिए वरदान साबित हुआ ’एम्स’ – 12 दिनों से फंसा था मूंगफली का दाना – नमकीन खाते समय हुई घटना।

– डेढ़ साल की मासूम के लिए वरदान साबित हुआ ’एम्स’
– सांस की नली में 12 दिनों से फंसा था मूंगफली का दाना
– नमकीन खाते समय हुई घटना, अल्ट्राथिन ब्रोंकोस्कॉपी से किया निदान

डेढ़ साल की एक मासूम की सांस की नली में मूंगफली का दाना फंस गया।

जिससे बच्ची की सांस अटकने लगी और हालत गंभीर होती चली गई।

जान बचाने के लिए मां-बाप उसे रुड़की से देहरादून तक विभिन्न अस्पतालों में ले गए, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

ऐसे में एम्स के चिकित्सकों ने जोखिम उठाया और उच्च तकनीक आधारित ब्रोंकोस्कॉपी प्रक्रिया अपनाकर बच्ची की सांस की नली में फंसे मूंगफली के दाने को बाहर निकालने में सफलता पाई। नमकीन खाते समय मूंगफली का यह दाना बच्ची की सांस की नली में 12 दिनों से फंसा था।

लक्सर (रुड़की) निवासी लगभग डेढ़ साल की बच्ची 21 फरवरी को अपने 4 वर्षीय भाई के साथ बैठी थी। भाई को नमकीन खाते देख नन्हीं मासूम ने भी नमकीन के कुछ दाने अपने मुंह में डाल दिए। इस दौरान मूंगफली का एक दाना उसके गले में अटक गया और कुछ देर बाद सांस की नली में फंस गया।

बच्ची की हालत बिगड़ती देख परिजन उसे पहले रुड़की और फिर देहरादून के एक बड़े अस्पताल में ले गए।

डॉक्टरों ने सांस की नली में फंसे दाने को बाहर निकालने के लिए रिजिड ब्रोंकोस्कॉपी तकनीक उपयोग की, लेकिन बच्ची के संकट को लेकर परिवार की परेशानी यहां भी नहीं थमी।

ब्रोंकोस्कॉपी करते समय दाने का एक हिस्सा टूटकर फिर से सांस की नली में फंस गया।

बच्ची की गंभीर हो चुकी स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे एम्स ले जाने की सलाह दी ।
4 मार्च को एम्स पहुंचने पर पीडियाट्रिक पल्मोनोरी विभाग द्वारा बच्ची के स्वास्थ्य की जांच की गई।

यहाँ उल्लेखनीय है कि इस विभाग की विभागाध्यक्ष संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह हैं।

प्रो. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में डॉक्टरों की टीम ने सभी आवश्यक जाचें करने के बाद अल्ट्राथिन ब्रोंकोस्कॉपी करने का निर्णय लिया और बिना समय गवांए पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा के सुपरविजन में की गई इस प्रक्रिया से डॉक्टरों की टीम श्वास नली में फंसे मूंगफली के दाने को बाहर निकालने में सफल रही।

डॉ. मयंक ने बताया कि मूंगफली के दाने का यह अंश 8 मिमी साईज का था। उन्होंने बताया कि चिकित्सीय निगरानी हेतु बच्ची को 5 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया था।

अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और पिछले सप्ताह उसे एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

पल्मोनरी विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी ने कहा कि इस तरह के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र पारिवारिकजनों को चाहिए कि छोटी उम्र के बच्चों की देखरेख और उनके रख-रखाव के प्रति विशेष सावधानी बरतें, ताकि इस प्रकार की घटनाएं कम से कम हो सकें।

इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने वाली टीम में पल्मोनोरी विभाग के डॉ. मयंक मिश्रा, डॉ. निर्वाण बैश्य के अलावा पीडियाट्रिक पल्मोनोरी विभाग की डॉ. खुश्बू तनेजा और एनेस्थेसिया विभाग के डॉ. गौरव जैन आदि शामिल थे।

इंसेट
क्या है अल्ट्राथिन ब्रोंकोस्कॉपी
अल्ट्राथिन बोंकोस्कॉपी तकनीक में एक विशेष प्रकार के पतले ब्रोंकोस्कोप का उपयोग किया जाता है जबकि क्रायोएक्स्ट्रक्शन के लिए क्रायोपोब का इस्तेमाल होता है।

ब्रोंकोस्कॉपी उपकरण एक ट्यूब के समान होता है, जो पेशेंट के गले में प्रवेश कराया जाता है।

डॉ. मयंक ने बताया कि यह प्रक्रिया करने से पहले पेशेंट को बेहोश करने की आवश्यकता होती है।

हालांकि यह प्रक्रिया बेहद जोखिमभरी है, लेकिन इस तकनीक से सांस की नली में फंसे भोज्य पदार्थ के छोटे से छोटे कण को भी बाहर निकाला जा सकता है।

“पीडियाट्रिक पल्मोनोरी विभाग विशेषतौर से छोटे बच्चों के श्वास रोग संबंधी इलाज के लिए ही बना है।

यह बच्ची बहुत ही क्रिटिकल स्थिति में एम्स पहुंची थी, लेकिन संस्थान के अनुभवी व उच्च प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा ब्रोन्कोस्कॉपी की आधुनिक और उच्चस्तरीय तकनीक का उपयोग करने से हमारी टीम बच्ची का जीवन बचाने में सफल रही। टीम में शामिल रहे सभी चिकित्सकों का कार्य सराहनीय है।’’
– प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स व एचओडी पीडियाट्रिक पल्मोनोरी विभाग।

Related posts

Haldwani हंगामे के मास्टरमाइंड अब बोलेंगे, Abdul Malik को चार दिन की पुलिस हिरासत में रखा- सवालों की सूची भी तैयार

cradmin

khabaruttrakhand

ब्रेकिंग:-बिजली विभाग की जिला अधिकारी ने की हौसला अफजाई। प्रत्येक घर को मिलेगी बिजली। धीराज गर्ब्याल।

khabaruttrakhand

Leave a Comment

Verified by MonsterInsights