Lok Sabha Election में बहुजन समाज पार्टी हमेशा से ही पहाड़ में अपने प्रत्याशी खड़ी करती आई है, लेकिन आज तक हाथी पहाड़ नहीं चढ़ पाया। स्थिति ये रही कि BSP के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भी 2014 के Lok Sabha Election में 25 हजारत मतों पर सिमटकर रह गए थे।
वहीं, इस बार चुनाव में पहली बार BSP ने सीमांत जनपद के दूरस्थ क्षेत्र के प्रत्याशी पर अपना विश्वास जताया है। Uttarakhand बनने के बाद BSP लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, प्रदेश में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करती रहती है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मैदानी जिले हरिद्वार से एक बार BSP को सफलता भी मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव में पहाड़ में BSP के वोट हर बार घटते रहे। BSP ने वर्ष 2004 में टिहरी लोकसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा, लेकिन उन्होंने नाम वापस ले लिया था।
मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में BSP के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे
इसके बाद वर्ष 2009 में BJP से बगावत कर मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में BSP के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। जिन्हें जौनसार पृष्ठभूमि और देहरादून जिले के नाते करीब 90 हजार के आसपास मत मिले। उसके बाद वर्ष 2014 में टिहरी लोकसभा सीट पर BSP से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल चौधरी ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह 25 हजार मतों पर अटक गए थे।
BSP ने फिर वर्ष 2019 में तत्कालीन देहरादून के जिलाध्यक्ष सत्यपाल को मैदान में उतारा, जो 15 हजार मत पर अटक गए। अब वर्तमान में BSP ने मैदानी इलाकों को छोड़ सीमांत जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा है। अब यह तो मतगणना के दिन ही पता लग पाएगा कि क्या BSP पहाड़ के प्रत्याशी के नाम पर मतों की संख्या बढ़ा पाएगी या नहीं। संवाद Uttarakhand की जनता BJP और Congress के कार्यकाल से परेशान हो गई है, इसलिए BSP लगातार जनता के बीच आकर इन दोनों की कमियों को उजागर कर रही है। -सतेंद्र खत्री, प्रदेश सचिव BSP