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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल द्वारा स्थानीय जनमानस एवं वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर मनाया गया हरेला पर्व।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल द्वारा स्थानीय जनमानस एवं वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर हरेला पर्व मनाया गया।

जिसके तहत पर्यावरण संवर्धन के संदेश के साथ विभिन्न प्रजातियों के औषधीय एवं फलदार पौधों का रोपण किया गया। बताया गया कि पौधरोपण से ही हम धरती का श्रंगार कर सकते हैं और अपने आसपास के वातावरण को हरियाली से आच्छादित कर सकते हैं।

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इस अवसर पर सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग एवं सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बरसात के मौसम के दौरान एवं उसके शीघ्र बाद के महीनों में आने वाली डेंगू की दस्तक से बचाव के लिए जनसमुदाय से अपने घरों, मुहल्लों के आसपास मिलकर “सेवन प्लस वन” कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया।
उन्होंने बताया कि डेंगू की रोकथाम के लिए एम्स ऋषिकेश आउटरीच सेल की पहल पर यह कार्यक्रम ऋषिकेश क्षेत्र में 2019 में शुरू किया गया था, तब से ऋषिकेश में डेंगू पर काफी हद तक नियंत्रण हुआ है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में चंद्रेश्वरनगर में डेंगू से ग्रसित महज एक मरीज मिला था जबकि इससे पूर्व के वर्षों में चंद्रेश्वरनगर क्षेत्र में डेंगू के काफी केस देखने को मिलते थे।
डॉ. संतोष के अनुसार वृहद जनहित व जनस्वास्थ्य के मद्देनजर “सेवन प्लस वन” प्रोग्राम को ऋषिकेश के लागू करने के लिए ऋषिकेश नगर निगम एवं स्थानीय जनता से अनुरोध किया गया है तथा इसी बिंदु को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भी डेंगू के प्रकोप को जड़ से नष्ट करने के लिए लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना होगा।
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डेंगू सेवन प्लस वन के उद्देश्य
डेंगू से बचाव एवं नियंत्रण के लिए स्थानीय लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना एवं व्यवहार परिवर्तन तथा मनोवैज्ञानिक ढंग से डेंगू जेसी महामारी से लड़ने के लिए सक्षम बनाना ।
डेंगू नियंत्रण एवं बचाव के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में बहुउद्देशीय टीम का गठन करना एवं बहुउद्देशीय टीम को आशा/ए.एन.एम./ क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा प्रशिक्षित करना।

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अपने मुहल्ले, बस्ती, गांव और संवेदनशील क्षेत्रों में समय-समय पर जन जागरुकता कार्यक्रम करना।

क्रियाविधि
बताया गया है कि सेवन प्लस- वन कार्यक्रम के अंतर्गत सर्वप्रथम अपने शहर, निगम या क्षेत्र में उन लोगों को चिह्नित करना होगा, जहां पर विगत वर्ष डेंगू के अधिक मरीजों को देखा गया था अथवा उन स्थानों को चिह्नित करें जहां पर अधिक मच्छर पनपने की संभावना है, इस प्रक्रिया को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की मैपिंग (हॉट-स्पॉट मैपिंग ) या सोशल मैपिंग कहते हैं ।
इसके पश्चात चिह्नित स्थानों पर अधिक मच्छरों वाले प्रजनन स्थलों की पहचान की जाती है।
इस कार्यक्रम के अगले चरण में बहुउद्देशीय टीम का गठन किया जाता है, जिसमें ए.एन.एम,आशा,स्वास्थ्यकर्मी,एनजीओ, स्थानीय स्वयंसेवकों को सम्मिलित किया जाता है तथा आशा एवं स्वास्थ्यकर्मी द्वारा इन सभी लोगों को गहन प्रशिक्षण दिया जाता है।

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जिसके तहत उन्हें मच्छर और उसके प्रजनन- चक्र से लोगों को अवगत कराया जाता है, जिसकी क्रिया विधि आगे विस्तार से बताई गई है।
बहुउद्देशीय टीम द्वारा डेंगू संवेदनशील स्थानों व इससे प्रभावित होने वाले समुदाय में जन जागरुकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी लोगों को डेंगू से बचाव के उपाय जैसे- पानी का इकट्ठा न होने देना, घर में स्वच्छता करना, गमलों, कूलर में भरे पानी को समय-समय पर बदलना, बस्ती में मच्छरों के प्रजनन स्थानों, छत पर रखे टायर, बोतल, टूटे हुए बर्तन,प्लास्टिक का सामान,गड्ढों एवं अन्य जिसमें पानी रुक सकता हो तथा निर्माणाधीन भवनों में रुके हुए पानी आदि को नष्ट करना और इनको समय-समय पर चेक करना, उपयुक्त उपायों के लिए समाज में लोगों में व्यावहारिक परिवर्तन के साथ समय-समय पर अनुसरण भी कराना अति आवश्यक है ।
बहुउदेशीय टीम के साथ चिह्नि क्षेत्रों पर एक साथ प्रजनन स्थलों का सामुहिक विनाश।
डेंगू प्रभावित बस्तियों में बुखार के लक्षणों वाले लोगों की पहचान तथा उनको सुरक्षा के उपाय बताना जिससे डेंगू ग्रसित मामले आगे नहीं बढ़़ सकें।

डेंगू के लक्षण व बचाव के क्या हैं उपाय
डेंगू प्रभावित बस्तियों में ऐसे व्यक्तियों जिनको अचानक तेज बुखार, सर दर्द, हाथ पैरों में दर्द, आंखों के पीछे भाग में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, जोड़ों में अत्यधिक दर्द, शरीर में लाल रंग के चकत्ते होना,ऐसे संक्रमित रोगियों को एक स्थान पर आराम करने के लिए बोलना और अधिक बुखार होने पर केवल पानी और पेरासिटामोल का सेवन करने के साथ सुरक्षा के उपायों में फुल-बाजू के कपड़े पहनना, दिन में मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दें, जिससे कि मच्छर उनको न काट सके तथा उनके शरीर के विषाणु किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति में न पहुंच सकें।

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डेंगू का मच्छर ग्रसित व्यक्ति से डेंगू के विषाणु को स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचा सकता है, अगर किसी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षणों के साथ- साथ नाक-मसूड़ों से खून आना, पेट में दर्द, उल्टी का होना, त्वचा में नीले-काले रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं, तो यह रक्त स्राव के लक्षण हैं, ऐसे मरीजों को तुरंत चिकित्सकीय परामर्श हेतु अस्पताल भेजना चाहिए।
सात दिन तक एक घंटे के सेवन प्लस-वन कार्यक्रम में सभी स्थानों में सामुहिकरूप से इकट्ठे पानी को साफ करने, घर-घर का निरीक्षण करने ,मच्छरों के प्रजनन स्थानों जैसे, गमलों के नीचे की तस्तरी के रुका पानी, फ्रिज के पीछे ट्रे में जमा होने वाला पानी, कूलर में जमा पानी को नियमिततौर पर साफ करें तथा शरीर को कपड़े से पूरी तरह ढक कर रखें, जिससे मच्छर न काट सके ।
डेंगू से बचाव व समुचित रोकथाम के क्रम में नगर निगम, नगर पालिका, ग्रामसभाएं अपने निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र से कीटनाशक दवाई जैसे टेमिफास, डेल्टामेथेन आदि लार्वा नाशक दवाई का छिड़काव कर सकते हैं, अगर कीटनाशक दवाई न मिले तो परेशान न हों। घरों व उसके आसपास रुके पानी में 30-40 मिली ली. पेट्रोल 100/लीटर पानी में डाल सकते हैं, जिससे डेंगू लार्वा स्वत: ही नष्ट हो जाएगा।

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