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ब्रेकिंग:-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह जी के मार्गदर्शन में मनाया गया वार्षिक अनुसंधान दिवस।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह जी के मार्गदर्शन में वार्षिक अनुसंधान दिवस मनाया गया, जिसमें उन्होंने देश में स्वास्थ्य चिकित्सा अनुसंधान उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार विषय पर सुझाव रखे।

कार्यक्रम में देश के विभिन्न मेडिकल एवं तकनीकि संस्थानों के विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया व व्याख्यान प्रस्तुत किए।
शुक्रवार को संस्थान की डीन एकेडमिक प्रोफेसर डा. जया चतुर्वेदी के संरक्षण व डीन ​रिसर्च प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक पीजीआईएमईआर प्रो.केके तलवार ने चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान पर अपने विचार रखे। उन्होंने गुजरात में एक सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री के भाषण का जिक्र करते हुए बताया गया कि हमें गुणवत्तापूर्ण शोध और नवाचार करने की आवश्यकता है, जो राष्ट्रीय महत्व के हैं।

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हमें अपने राष्ट्र के कुछ विशिष्ट योगदानों पर गर्व होना चाहिए, जैसे कि अध्ययनों से पता चला है कि आम घरेलू सामान भी ओआरएस जितना अच्छा हो सकता है।

हमें अनुसंधान को स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों के साथ एकीकृत करना चाहिए क्योंकि अब आयुष राष्ट्रीय महत्व के अधिकांश चिकित्सा संस्थानों का एक हिस्सा है।
इसे एकीकृत करना चिकित्सा की दोनों प्रणालियों के लिए फायदे की स्थिति होगी।
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने एम्स ऋषिकेश के प्रतीक ;विश्व आरोग्यं हि धर्मो नः विश्व को रोग रहित बनाना ही हमारा धर्म है का अर्थ समझाते हुए अपने भाषण की शुरुआत की। जो अनुसंधान के लिए हमारा आधार बनना चाहिए।
हम अपने संस्थान के सिद्धांतों की त्रिमूर्ति के लिए समर्पित हैं जो रोगी देखभाल शैक्षणिक प्रतिभा और अनुसंधान है। विशिष्ट अतिथि यूकॉस्ट के निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने अनुसंधान में राज्य की प्राथमिकता व महत्व के बारे में बताया उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश न केवल चिकित्सा केंद्र है बल्कि साथ ही यह एक आध्यात्मिक इको जोन में मौजूद है। वह कोविड 19 महामारी के दौरान संकट के बीच आशा और करुणा देने के लिए सभी डॉक्टर समुदाय को सलाम करते हैं।

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अनुसंधान के कारण चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ा बदलाव आया है जो दुनिया को डिजिटल स्वास्थ्य की ओर ले जाता है,टेलीमेडिसिन इसका उदाहरण है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि वह अनुसंधान के लिए एक पूरा दिन समर्पित करने के लिए एम्स ऋषिकेश की सराहना करते हैं।

उन्होंने बहुविषयक अध्ययन करने के लिए आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश के बीच अधिक सहयोग पर जोर दिया और संख्याओं के बजाय शोध की गुणवत्ता पर भी महत्व दिया।

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उन्होंने अपने भाषण का समापन रवींद्रनाथ ठाकुर के लेखन से लिए गए एक उद्धरण के साथ किया,जैसे सरल मार्ग से गलत करने की बजाए कठिन मार्ग से सही रास्ते को अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि यह शोध दिवस समारोह हमारे शोध उत्साही लोगों की जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ाने का कार्य करेगा। शोधकर्ता को इस प्रकार का कार्य करना चाहिए जिसका रोगी की देखभाल पर गहरा प्रभाव पड़े। कार्यक्रम में पैनलिस्ट के तौर पर आए अतिथि गण डॉक्टर सुनील सैनी निदेशक कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट एस आर यू ने राज्य में अनुसंधान के पारिस्थितिक तंत्र बनाने के लिए अनुसंधान में सहयोग समन्वय और संचार की आवश्यकता पर विचार रखे। आरकेएमएम हरिद्वार के चिकित्सा अधीक्षक स्वामी दया दीप आनंद उस डॉ शिवकुमार महाराज जीने प्रकृति और छात्र के लिए क्या टिप्स है ताकि वह फिर से सर्च ना करें बल्कि नैतिकता के मूल्य को ध्यान में रखते हुए न्यू सर्च करें पर विशेष जोर दिया।

साथ ही डॉ अजय कुमार निदेशक उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्राधिकरण डीआरडीओ देहरादून अनुसंधान संस्थान के लिए कोविड-19 महामारी से क्या सीख मिली है पर प्रकाश डाला व प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी डीन एस आर आई सी आईआईटी रुड़की ने मेडिकल कॉलेजों को तकनीकी प्रगति के साथ मेडिकल पाठ्यक्रम को रखने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए विषय पर महत्वपूर्ण बिंदु रखें। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान संस्थान ने उत्कृष्ट अनुसंधान व शोध कार्य के लिए फैकल्टी सदस्यों व मेडिकल छात्रों को पुरस्कृत भी किया। बताया गया कि जिन यूजी मेडिकल छात्रों को आईसीएमआर द्वारा प्रोजेक्ट अवार्ड प्रदान किए गए, उन्हें भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अनुसंधान दिवस कार्यक्रम में संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर संजीव मित्तल,उपनिदेशक प्रशासन ले. कर्नल अच्युत रंजन मुखर्जी, वित्तीय सलाहकार ले.कर्नल सिद्धार्थ जी ने कार्यक्रम में विशेषरूप से मौजूद रहे। इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉक्टर फरहान उल हुदा, डॉ डीके त्रिपाठी व कार्यक्रम संचालन डॉक्टर अश्वनी महा धुले द्वारा किया गया। संयोजक सचिव के रूप में डॉक्टर बेला गोयल, डॉ अमित सहरावत, डॉक्टर राज राजेश्वरी व जन अनुसंधान कर्मचारी संदीप कंडारी, राजन, सीमा आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इंसेट वार्षिक शोध दिवस पर एम्स ऋषिकेश के शोधार्थी हुए सम्मानित शुक्रवार को एनुअल रिसर्च डे 2022 के अवसर पर एम्स संस्थान की ओर से विभिन्न वर्गों में शोध करने वाले शोधार्थियों को बेस्ट ​रिसर्चर अवार्ड से नवाजा गया।

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इस अवसर पर संकाय वर्ग में
बेहतर जर्नल में शोध पत्र प्रकाशन के लिए पीडियाट्रिक विभाग के डा. प्रतीक कुमार पांडा,सीएफएम के डा. अजीत भदौरिया, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के डा. राकेश शर्मा को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड से नवाजा गया। जबकि सर्वाधिक पब्लिकेशंस वर्ग में पीडियाट्रिक र्जरी विभाग के डा. इंद्र कुमार सहरावत, आर्थोपेडिक विभाग के डा. पंकज कंडवाल व माइक्रो बायोलॉजी विभाग के डा. दीपज्योति कलीता को बेट ​​रिर्चर अवार्ड सम्माति किया गया। इसी प्रकार सबसे अधिक रिसर्च ग्रांट वर्ग में गायनी विभाग की डा. शालिनी राजाराम , सीएफएम के डा. प्रदीप अग्रवाल व बायोकेमेट्री विभाग के डा. अनीसा आतिफ मिर्जा को रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया गया। जबकि रिसर्च पेटेंट वर्ग में प्लास्टिक सर्जरी विभाग की डा. माधुरी वाथुल्या, मेडि​सिन के डा. रविकांत व यूरोलॉजी के डा. आशुतोष तिवारी को रिर्च अवार्ड से नवाजा गया। इसी प्रकार शोध छात्र श्रेणी में सर्वाधिक इंपैक्ट फैक्टर के जर्नल में शोध प्रकाशन के लिए फार्माकोलॉजी विभाग के पीएचडी शोधार्थी रोहिताश यादव, ​नर्सिंग कॉलेज की दीक्षा अरोड़ा व आर्थो विभाग के बालगोविंद एस. राजा को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड नवाजा गया। इसी प्रकार छात्र श्रेणी में सर्वाधिक शोध प्रकाश के लिए डा. शुभम झांवर, डा. समर्थ मित्तल व डा. संगीता डेका को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड नवाजा गया। इसी प्रकार इनोवेशन चैलेंज के लिए के लिए डा. रवि गुप्ता, डा. आशुतोष तिवारी व ऋषि शर्मा को प्रमाणपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।
इंसेट वार्षिक शोध दिवस पर एम्स ऋषिकेश के शोधार्थी हुए सम्मानित शुक्रवार को एनुअल रिसर्च डे 2022 के अवसर पर एम्स संस्थान की ओर से विभिन्न वर्गों में शोध करने वाले शोधार्थियों को बेस्ट ​रिसर्चर अवार्ड से नवाजा गया। इस अवसर पर संकाय वर्ग में ब
बेहतर जर्नल में शोध पत्र प्रकाशन के लिए पीडियाट्रिक विभाग के डा. प्रतीक कुमार पांडा,सीएफएम के डा. अजीत भदौरिया, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के डा. राकेश शर्मा को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड से नवाजा गया। जबकि सर्वाधिक पब्लिकेशंस वर्ग में पीडियाट्रिक र्जरी विभाग के डा. इंद्र कुमार सहरावत, आर्थोपेडिक विभाग के डा. पंकज कंडवाल व माइक्रो बायोलॉजी विभाग के डा. दीपज्योति कलीता को बेट ​​रिर्चर अवार्ड सम्माति किया गया। इसी प्रकार सबसे अधिक रिसर्च ग्रांट वर्ग में गायनी विभाग की डा. शालिनी राजाराम , सीएफएम के डा. प्रदीप अग्रवाल व बायोकेमेट्री विभाग के डा. अनीसा आतिफ मिर्जा को रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया गया। जबकि रिसर्च पेटेंट वर्ग में प्लास्टिक सर्जरी विभाग की डा. माधुरी वाथुल्या, मेडि​सिन के डा. रविकांत व यूरोलॉजी के डा. आशुतोष तिवारी को रिर्च अवार्ड से नवाजा गया। इसी प्रकार शोध छात्र श्रेणी में सर्वाधिक इंपैक्ट फैक्टर के जर्नल में शोध प्रकाशन के लिए फार्माकोलॉजी विभाग के पीएचडी शोधार्थी रोहिताश यादव, ​नर्सिंग कॉलेज की दीक्षा अरोड़ा व आर्थो विभाग के बालगोविंद एस. राजा को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड नवाजा गया। इसी प्रकार छात्र श्रेणी में सर्वाधिक शोध प्रकाश के लिए डा. शुभम झांवर, डा. समर्थ मित्तल व डा. संगीता डेका को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड नवाजा गया। इसी प्रकार इनोवेशन चैलेंज के लिए के लिए डा. रवि गुप्ता, डा. आशुतोष तिवारी व ऋषि शर्मा को प्रमाणपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।

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