सूर्यकुण्ड जहां भगवान शिव के जटाओं में विराजमान होकर पृथ्वी में आई थी मां गंगा।
रिपोर्ट :- सुभाष बडोनी /उत्तरकाशी.
-जंहा कल रात्रि में गंगोत्री धाम में बर्फवारी देखने को मिली वंही विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में स्थित सूर्यकुण्ड का अलग ही महत्व है।
गंगोत्री धाम में आये श्रद्धालु इस कुण्ड का दर्शन करते हैं इस कुण्ड के बारे में पोराणिक मान्यता है कि जब राजा भगीरथ के हजार साल तपस्या से खुश होकर भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से मां गंगा को धरती पर भेजा था. तो उस समय मां गंगा का वेग बहुत तेज था जिसके कारण धरती में निवास करने वाले मानवों जीव जन्तुओं के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया था।
उनको बचाने के लिए भगवान शंकर ने मां गंगा को अपनी जटाओं में समा लिया था जिसके कारण मां गंगा शिव की जटाओं में कैद हो गयी थी फिर राजा भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या कर के मां गंगा को आजाद करने की विनती की थी।
तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इस स्थान पर मां गंगा की एक धारा को यहां पर छोड़ा था साथ ही इस स्थान पर सूर्य की किरणों से अद्भुत इन्द्र धनुष की रचना स्पष्ट दिखाई देती है इस स्थान से ठीक नीचे गोरी कुण्ड भी स्थित है साथ ही यहां पर मां भागीरथी एवं केदार गंगा का मिलन भी होता है अगर आप गंगोत्री धाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो इस स्थान का दर्शन अवश्य करें।