ऐम्स ऋषिकेष:-
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश आई बैंक में बीते सोमवार को दिवंगत हरभजन सिंह व दिवंगत सिद्धार्थ का उनके परिजनों ने मृत्यु उपरांत नेत्रदान कराया।
बताया गया है कि इस नेत्रदान से ऋषिकेश आई बैंक ने अब तक 702 का आंकड़ा पार कर लिया।
नेत्रदान के प्रति जागरूक लोगों के इस प्रयास से चार नेत्रहींन लोगों का जीवन रोशन हो सकेगा।
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस पुनीत संकल्प के लिए परिजनों की सराहना की उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने ऋषिकेश आई बैंक द्वारा 702 का आंकड़ा पार करने पर सराहना की व नेत्रदान की प्रतिज्ञा के लिए क्यूआर कोड को जेनरेट कर किया इस सुविधा का शुभारंभ किया।
एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि देहरादून निवासी हरभजन सिंह (86 वर्ष) का बीते सोमवार को असामयिक निधन हो गया।
उनके निधन के बाद पुत्र धर्मजीत सिंह ने अपने दिवंगत पिता का तथा सोमवार शाम गंगानगर ऋषिकेश निवासी सिद्धार्थ (13 वर्ष ) के असमायिक निधन होने पर उनके पिता रघुबीर सिंह ने अपने पुत्र का नेत्रदान कराया।
बताया गया कि उक्त दोनों परिवारों ने ऋषिकेश आई बैंक, एम्स से संपर्क साधकर अपने दिवंगत प्रियजनों का नेत्रदान कराया।
उन्होंने बताया कि सभी उम्र के व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं। यदि किसी को चश्मा लगा हाे या मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ हो, ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं।
नेत्रदान के लिए मृत्यु के बाद किसी तरह का ऑपरेशन नहीं होता। महज 15 मिनट की प्रक्रिया में आंखों की ऊपरी सतह पर स्थित कॉर्निया काे निकाला जाता है, जिसमें आंखों की रोशनी रहती है।
गौरतलब है कि अब तक ऋषिकेश आई बैंक (एम्स) को 702 कॉर्निया प्राप्त हुए हैं ।
ऋषिकेश नेत्र बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर नीति गुप्ता ने बताया कि अब तक कुल प्राप्त कॉर्निया में ऋषिकेश शहर से 61 फीसदी, हरिद्वार शहर से 22, देहरादून से 03, रुड़की से 01 प्रतिशत तथा उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से 8 प्रतिशत कॉर्निया प्राप्त हुए हैं।
इसी प्रकार भारत के अन्य शहरों से 5 फीसदी लोगों ने ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान किए हैं ।
उन्होंने बताया कि नेत्रदान के संकल्प लेने के लिए नीचे दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और ऋषिकेश आई बैंक में मरणोपरांत नेत्रदान करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं।