ग्रामीण विकास की रीड मनरेगा ने प्रधानों को बनाया कर्जदार,
एनएमएमएस सिस्टम ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह से फेल ,टिहरी जिला अध्यक्ष रविंद्र सिंह राणा ने आरोप लगाते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास की रीड कही जानी वाली मनरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम सांसे गिन रही है।
जब से केंद्र और सरकार ने मनरेगा में ऑनलाइन उपस्थिति लगाने का फरमान जारी किया है तब से ही एनएमएमएस ऐप के सही ढंग से कार्य न करने के कारण श्रमिकों की उपस्थिति बराबर नहीं लग पा रही है।
जिस कारण ग्रामीण श्रमिक ग्राम प्रधानों से नकद भुगतान की मांग कर रहें हैं परिणामस्वरूप ग्राम प्रधानों और ग्रामवासियों में विवाद की स्थिति पैदा हो रही है।
पिछले एक सप्ताह में तो इस ऐप में कुछ ऐसा बदलाव किया गया है की 90 प्रतिशत गांवों में ये ऐप बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है, जिस कारण श्रमिकों की उपस्थिति नहीं लग पा रही है।
संगठन के टिहरी जिला अध्यक्ष रविंद्र सिंह राणा ने आरोप लगाते हुुुए कहा की यदि एक दो दिन में इसमें सकारात्मक बदलाव नहीं हुए तो मनरेगा में काम करना दूभर हो जायेगा।
ब्लॉक के संबंधित कर्मचारियों से समाधान के लिए पूछें तो वो भी असमर्थता जताते हैं।
हमेशा ऐप को डिलीट करने के बाद इंस्टॉल करना पड़ रहा है फिर भी उपस्थिति नहीं लग पा रही है।
तो कई जॉब कार्ड धारकों के आधार सीडिंग और बैंक अकाउंट सीडिंग नहीं हों पा रहे हैं।
जिससे पात्र जॉब कार्ड धारकों को रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है।
ऐसे में लग रहा है की ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा अब अंतिम सांसे गिन रही है।
राणा ने मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी टिहरी को भी इस संबंध में पत्र प्रेषित किया।
राकेश राणा ने बताया कि सभी के नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम यानी *एनएमएमएस* ऐप में लॉग इन में यही एरर आ रहा है और उपस्थिति नहीं लग रही है।
वही उन्होंने कहा कि पिछले 4 दिनों से यही प्रोब्लम चल रही है।