Haldwani: त्रेता युग में भगवान राम ने पिता Dasharatha की आज्ञा पालन के लिए घर छोड़ा और 14 वर्ष वन में वास किया। कलयुग में हल्द्वानी के “Dasharatha” ने भगवान श्रीराम के लिए घर छोड़ा। बात हो रही है सातवीं बार के विधायक बंशीधर भगत की।
वर्षों से रामलीला में Dasharatha के पात्र का अभिनय करने वाले भगत की आमजन में पहचान दशरथ के रूप में भी है। Ram Mandir आदोलन के दौरान 23 दिन जेल में रहे भगत बताते हैं कि तब भी श्रीराम काज के लिए घर छोड़ने की खुशी थी। लेकिन आज उनके घर में विराजमान होने की जो अपार खुशी है उसे बयां नहीं किया जा सकता।
सोमवार से बात करते हुए 75 वर्षीय बंशीधर भगत बताते हैं कि वर्ष 1989 में वह BJP जिलाध्यक्ष थे। उन्हें Ram Mandir आंदोलन में कारसेवक प्रमुख बनाया गया था। आंदोलन में शामिल होने पर गर्व की अनुभूति करते थे, क्योंकि उस समय वातावरण ही राममय हो चुका था।
जहां भी हम आंदोलन करते थे, पूरा जनसमर्थन हासिल था। इससे हमारा हौसला और बढ़ जाता था। दोगुने जोश से आंदोलन में कूद पड़ते थे। अपने घर में पुलिस की नजर थी इसलिए बच-बच कर दूसरों के घरों में ठिकाना बना लेते थे। वहां भी पुलिस की आने की सुगबुगाहट होती तो कहीं और भाग जाते।
भागेंगे क्यों, हमने कोई चोरी थोड़े की…
एक दिन आंदोलन के बाद हम शहर के मल्ला गोरखपुर पहुंच गए। वहां पुलिस ने हमें पकड़ लिया। बोले, भागना नहीं। तब हम तपाक से बोल पड़े, भागेंगे क्यों, हमने कोई चोरी थोड़े की है। उन्होंने हमें पकड़ा और अपने वाहन से अल्मोड़ा जेल ले गए। वहां 23 दिन तक रखा गया।
कई साथी पहले छूट गए, लेकिन घबराए नहीं। डटे रहे। जिद थी कि Ram Mandir बनाना है। जेल में हम लोग खुद ही भोजन बनाने समेत अन्य काम करते थे। समय मिलते ही राम भजनों में मस्त हो जाते थे। जब जेल से निकले तो जोश कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ गया। अयोध्या तक पहुंच गए। वहां से गुंबद की ईंट ले आए। जगह-जगह राम को लेकर पूजा-अर्चना भी की जाती रही।
विधायक भगत अब श्रीराम मंदिर बनने को सपना साकार होना जैसा मानते हैं। रामलला अब तिरपाल के बजाय भव्य महल में रहेंगे। 22 जनवरी को अयोध्या के साथ-साथ हम अपने शहर में होने वाले श्रीरामोत्सव के आयोजनों को लेकर भी खुश हैं। इस समय पूरा देश राममय हो चुका है। हम सभी को इसमें शामिल होना चाहिए।