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उत्तराखंड के पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में पलायन रोकथाम और आर्थिक स्वालंबन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मत्स्य पालन विभाग द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाएं।

“मत्स्य पालन से युवाओं के लिए स्वरोजगार की राह”

उत्तराखंड के पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में पलायन रोकथाम और आर्थिक स्वालंबन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मत्स्य पालन विभाग द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाएं जनपद टिहरी गढ़वाल के युवाओं के लिए स्वरोजगार की राह आसान कर रही हैं।

जनपद टिहरी गढ़वाल के विकासखंड चंबा की ग्राम कख्वाडी के श्री सुम्बारी लाल व श्रीमती मीरा देवी द्वारा किया जा रहा मत्स्य पालन स्वरोजगार की राह पर आर्थिक सशक्तिकरण का उदाहरण पेश कर रहा है।

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुम्बारी लाल व उनकी धर्मपत्नी मीरा देवी मत्स्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे है।

मत्स्य पालक सुम्बारी लाल ने बताया कि उन्हें मत्स्य पालन से आर्थिकी में सुधार के दृष्टिगत गत वर्ष 2024-25 में 4.50 लाख (चार लाख पचास हजार मात्र) के एक यूनिट बायोफलाक टैंक निर्माण के लिए  2.70 लाख का अनुदान मत्स्य विभाग द्वारा प्रदान किया गया।

उन्होंने अपने मत्स्य तालाब में 2000 कार्प मत्स्य बीज का संचय किया, जिससे कुल 7.20 कुंटल मत्स्य का उत्पादन किया गया। जिसमे सिल्वर कार्प, रोहू, पंगास, कॉमन कार्प शामिल है। जिसकी सप्लाई चंबा, कानातल और धनोल्टी में हो रही है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी हुई है साथ ही व्यापार में भी अच्छा खासा फायदा हो रहा है। इससे पूर्व में भी सुम्बारी लाल व उनकी धर्मपत्नी मीरा देवी ने विभाग द्वारा कई योजनाओं का प्रशिक्षण लेकर लाभ उठाया है।

राज्य सरकार द्वारा मत्स्य पालकों को दी जा रही वित्तीय सहायता के साथ मार्केटिंग की सुविधा भी प्रदान की जा रही है।

मत्स्य विभाग की इन योजनाओं से जनपद के मत्स्य पालकों की आमदनी में इजाफा हो रहा है और इसके साथ ही मत्स्य पालन आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनता जा रहा है।

मत्स्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को अपना कर उनकी सफलता  टिहरी के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन रही है।

इन क्षेत्रों में है ज्यादा डिमांड:
जनपद टिहरी गढ़वाल के मत्स्य विभाग द्वारा योजनाओं का लाभ ले रहे सुम्बारी लाल ने बताया कि रोजाना उत्पादन की डिमांड नागणी, चंबा मार्केट, कानाताल, चौपड़ियाल गांव, जड़ीपानी, धनोल्टी क्षेत्र में है। उन्होंने बताया कि कभी कभी डिमांड अन्य स्थानो से भी होती है।

इस प्रजाति के लिए कर रहे हैं प्रयास:
सुम्बारी लाल ने बताया कि सिल्वर कार्प, रोहू, पंगास, कॉमन कार्प प्रजातियों के साथ ट्रॉउट की प्रजाति के उत्पादन हेतु, यहां की जलवायु बहुत ही उपयुक्त है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रॉउट की प्रजाति के उत्पादन और व्यापार से आर्थिक स्थिति में और ज्यादा मुनाफा भी मिलेगा ।

आइटीबीपी के जवानों के लिए भेजी जायेगी ट्रॉउट की  सप्लाई:
जनपद टिहरी गढ़वाल के मत्स्य पालकों को शासन स्तर से आइटीबीपी सीमा द्वार, देहरादून से अनुबंध के बाद अधिकतर सप्लाई टिहरी गढ़वाल ट्रॉउट मत्स्य पालकों से ही होगी।

सहायक निदेशक मत्स्य उपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मा.मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी की ट्राउट प्रोत्साहन योजना से काफी मत्स्य पालकों को मार्केटिंग की  समस्याओं से निजात मिलेगी। साथ ही उन्होंने बताया कि बहुत जल्द आईटीबीपी सीमा द्वार, देहरादून को ट्राउट मत्स्य पालकों का उत्पादन भेजा जाएगा।

इस तरह के कांटेक्ट और अनुबंधो के माध्यम से ट्रॉउट मत्स्य पालकों को एक अच्छा खासा व्यवसाय करने का उचित प्लेटफार्म मिलेगा।

इससे पहले भी टिहरी गढ़वाल के मत्स्य पालकों द्वारा उत्तरकाशी में तैनात आईटीबीपी के लिए सप्लाई दी जा चुकी है।

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