बूढाकेदार बाढ सुरक्षात्मक कार्यों में लीपापोती का आरोप लग रहा है।
करोडों रुपये की योजना का हो रहा बंटा धार।
बताते चलें कि विगत वर्ष जुलाई मे धर्मगंगा व बालगंगा नदी मे आयी प्रलयकारी बाढ़ ने बूढाकेदार में नदी के दोनों ओर भारी कटान कर गॉव को खतरे की जद मे डाल दिया था।
वहीं ग्रामीणों की मांग पर सरकार द्वारा थाती गॉव के बचाव हेतु चैनलाइजेशन के लिए अनुमानित 20 करोड से अधिक का बजट पारित किया गया जो क्षेत्र के लिए बडी राहत की खबर थी लेकिन अब जब आप इस हो रहे कार्यों पर नजर डालेंगे तो आपको कुछ ओर ही नजारा नजर आएगा, जिसकी पोल खोलती नजर आ रही है पर्वतीय नारी सशक्त संगठन की संस्थापिका श्रीमती मीनाक्षी सुनार।
उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के नेतृत्व मे चल रहे बाढ सुरक्षात्मक कार्य चैनलाइजेशन निर्माण मे ठेकेदार व विभाग की मिली भगत से सीमेंट के साथ मिट्टी लगाई जा रही है ।
जो इस बाढ़ सुरक्षा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाता है,
उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्राम सभा रक्षिया द्वारा कई बार मौखिक विरोध भी जताया गया है परन्तु विभाग व प्रशासन ने स्थानीय लोगों की कोई सुध नही ली।
इसी क्रम में 20 मई 2025 को थाती बूढाकेदार मे चल रहे बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य (चैनलाइजेशन निर्माण) मे हो रही गुणवत्ता की कमी के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों तथा निर्माणकर्ता कम्पनी के लोगों को स्थानीय लोगो द्वारा उच्चस्तरीय जांच की चेतावनी भी दी गई।
अब पर्वतीय नारी सशक्त संगठन की ओर से सिंचाई विभाग और ठेकेदार को सख्त हिदायत दी गयी है कि जब सरकार द्वारा करोडों का बजट गॉव की सुरक्षा के लिए दिया गया है तो रेत की जगह नदी तट से ही निकाल कर मिट्टी क्यों लगाई जा रही है।
वहीं उन्होंने कहा कि यदि विभाग व ठेकेदार अपनी भ्रष्टाचारी नीति से बाज नही आता है तो संगठन जिलाधिकारी टिहरी को निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जॉच के लिए पत्र भेजेगा।
पर्वतीय नारी सशक्त संगठन की संस्थापिका श्रीमती मीनाक्षी सुनार ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वयं विधायक घनसाली द्वारा इस निर्माण कार्य की मॉनेटरिंग की जा रही है ऐसे में इस तरह के भ्रष्ट कार्य पर उनकी नजर न पडना बेहद चिंतनीय है।
उन्होंने कहा इसके लिए अब थाती गॉव की ग्रामीण महिलाओं ने निर्माण स्थल पर जाकर बात की।
वहीं चेताया है कि यदि ऐसे ही मिट्टी के साथ सीमेंट मिलाया जाता रहेगा तो हमे निर्माण कार्य को रोक कर सीमेंट बजरी (रेत) सरिया आदि के अनुपात एवं गुणवत्ता की जॉच हेतु प्रशासन को ज्ञापन सौंपना होगा।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब अब महिलाएं स्वयं ऐसे कार्यों की गुणवत्ता की देखरेख की जिमेदारी लेकर बाढ़ सुरक्षाकात्मक कार्यो में लीपापोती के गंभीर आरोप लगा रही है तो यह कार्य कितने टिकाऊ होंगे औऱ ऐसे में आगे क्या कार्यवाही इस तरह के कार्यो में होगी वह देखने वाली बात होगी।