गुरु अर्जुन देव सभी धर्मों का सम्मान आदर करते थे। राज्यपाल गुरमीत सिंह
रिपोर्ट । ललित जोशी।
सरोवर नगरी नैनीताल में इन दिनों आये उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सिखों के पांचवे गुरू श्री अर्जुन देव जी याद करते हुए श्रद्धांजलि दी।
राज्यपाल ने शहीदों के “सरताज” कहे जाने वाले वीर योद्वा श्रीगुरू अर्जुन देव को श्रद्धांजलि देते हुए कहा।
वे धर्म रक्षक और मानवता के सच्चे सेवक थे।
उन्होंने राष्ट्र, एवं भारतीय समाज के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
उनका बलिदान देश, समाज एवं मानवता के लिए महत्वपूर्ण है जिसे युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा।
राज्यपाल ने कहा कि श्रीगुरू जी ने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया।
वे दिन-रात लोगों की संगत में लगे रहते थे।
वे सभी धर्मों को एक समान दृष्टि से देखते थे।
उन्हें कई यातनाएं देने के बावजूद भी वे अपने सिद्वान्तों पर अडिग रहे ।
जो हमें एक नयी सीख देते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि श्री गुरू ग्रन्थ साहिब के सम्पादन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
गुरू ग्रन्थ साहिब का मुख्य संदेश समरसता, ज्ञान और विद्या है। गुरू अर्जुन जी का जीवन दर्शन भी समरसता से प्रेरित था। आज के युग में उनकी वाणी का एक-एक शब्द पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधता है।
राज्यपाल ने कहा की श्रीगुरुजी के जीवन से परोपकार की भावना की सीख मिलती है।
उन्होने संदेश दिया कि हमें अपनी कमाई का दशम (10%) हिस्से को परोपकार, नेक एवं अच्छे कार्यों के लिए करना चाहिए। इस दौरान “छबील” का आयोजन भी किया गया।
इस अवसर पर विधि परामर्शी अमित कुमार सिरोही, परिसहाय श्री राज्यपाल मेजर तरूण कुमार, विशेष कार्याधिकारी बी0पी0 नौटियाल, कंप्ट्रोलर प्रमोद चमोली के अलावा राजभवन के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।