अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसान,बिजली विभाग के अधिकारियों पर खराब कार्यशैली और भ्रष्टाचार का लगाया आरोप
रुड़की में ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता
शहरी के कार्यालय पर भारतीय किसान यूनियन पदम सिंह रोड गुट ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। किसानों ने बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर खराब कार्यशैली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
किसानों का कहना है कि जब तक बिजली विभाग से संबंधित समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता तब तक वह धरना समाप्त नहीं करेंगे। इस दौरान ऊर्जा निगम के अधिकारियों और किसानों के बीच नोकझोंक भी हुई। वहीं धरने से पहले सभी किसान प्रशासनिक भवन में इकठ्ठा हुए और वहां से किसानों ने पैदल मार्च भी निकाला।
आपको बता दें कि रुड़की स्थित ऊर्जा निगम के शहरी विकास कार्यालय में किसानों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
प्रदर्शन के दौरान भारतीय किसान यूनियन पदम सिंह रोड गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदम सिंह रोड ने कहा कि आज बिजली कटौती सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। वही बेहिसाब बिल किसानों का आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यूनियन की मांग है कि किसानों को निशुल्क बिजली दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यशैली जनता को परेशान करने वाली है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे हुए ट्रांसफार्मर और जर्जर तारों को बदला नहीं जा रहा है। वही बिजली तारों को जोड़ने और मीटर चेक आदि के नाम पर किसानों से अवैध वसूली और उत्पीड़न किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिशासी अभियंता की कार्यशैली जनता के हित में नहीं है।
जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता ये अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा। प्रतिदिन अलग-अलग गांव में से ग्रामीण आकर धरने पर बैठेंगे।
किसान नेता संजीव कुशवाहा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में तार जर्जर हालत में हैं जिनके कारण हल्की हवा चलने पर वह आपस में टकरा कर बिजली सप्लाई को ध्वस्त कर देते हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय से तारों की मरम्मत भी नहीं की गई है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीटर रीडर रीडिंग को कम ज्यादा लिख देते हैं जिसके कारण किसान भारी-भरकम बिल को देने में असमर्थ हो जाता है और उनके ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता है।
आज धरने का पहला दिन है दिन प्रतिदिन धरना तेजी पकड़ेगा। प्रतिदिन हर गांव से दस-दस किसान इस धरना प्रदर्शन में आएंगे और जल्द ही मांगे न मानी गई तो तालाबंदी भी करने से पीछे नहीं हटेंगे।