मेडिकोलीगल मामलों में नेत्रदान के लिए पुलिस विभाग द्वारा सहयोग किए जाने पर एम्स ऋषिकेश की ओर से पुलिस कर्मियों को सम्मानित किया गया।
इस दौरान एम्स के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने पुलिसकर्मियों को प्रशस्तिपत्र भेंटकर सम्मानित किया। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. मित्तल ने कहा कि अपनी आंखें दान कर हम दृष्टिबाधित व्यक्ति को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के नेत्र रोग विभाग द्वारा मंगलवार को ऋषिकेश कोतवाली परिसर में पुलिस जनों का सम्मान करने के साथ-साथ नेत्रदान के प्रति उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से जनजागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
इस दौरान शिविर में मौजूद पुलिस जनों को संबोधित करते हुए एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक और नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि मेडिकोलीगल मामलों में पुलिस विभाग की विशेष भूमिका रहती है उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कर्मी न केवल कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाते हैं बल्कि विभिन्न मामलों में आम लोगों को जागरूक करने में भी उनकी विशेष भूमिका रहती है। प्रोफेसर मित्तल ने पुलिस जनों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करते हुए अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि कॉर्निया प्रत्यारोपण के माध्यम से देश में दृष्टिबाधिता की दर को कम किया जा सकता है।
अंधेपन की समस्या को गंभीर समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में 10 से 20 लाख लोग कॉर्निया अंधापन से ग्रस्त हैं। लोगों में आंखों के प्रति सजगता का अभाव और समय पर आंखों की जांच नहीं करवाना इसका प्रमुख कारण है।
उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम लोगों में इसके प्रति जन जागरूकता पैदा करें और अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करें। प्रो. मित्तल ने कहा कि काॅर्निया का प्रत्यारोपण तभी संभव है, जब लोग नेत्रदान का संकल्प लें और अपनी आंखें दान कर दृष्टिबाधित व्यक्ति को नया जीवन दे सकें।
ऋषिकेश आई बैंक की निदेशक और वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. नीति गुप्ता ने एम्स में आई बैंक की स्थापना से आज तक किए गए कॉर्निया प्रत्यारोपण और जन-जागरूकता कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि किसी भी उम्र का व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।
इस संबंध में व्यापक परामर्श के लिए एम्स के नेत्र बैंक में 4 काउंसलर कार्यरत हैं और परामर्श की यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है। डॉ. नीति ने बताया कि नेत्रदान करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के 6 घंटे के दौरान ही जरूरतमंद व्यक्ति की आंख में काॅर्निया प्रत्यारोपित किया जा सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि एम्स के आई बैंक द्वारा अभी तक 418 काॅर्निया संग्रहित की जा चुकी है। इनमें से 52 प्रतिशत काॅर्निया मेडिकोलीगल मामलों से प्राप्त हुए हैं। जिसमें पुलिस विभाग और फोरेंसिक विभाग का विशेष सहयोग रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक 246 काॅर्निया प्रत्यारोपित कर लोगों को नेत्र ज्योति प्रदान की जा चुकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि 51 काॅर्निया उत्तराखंड के अन्य नेत्र सर्जनों के माध्यम से दृष्टिबाधित व्यक्तियों को प्रत्यारोपित करवाए गए हैं। डॉ. नीति ने पुलिस कर्मियों से आह्वान किया कि समाज में एक-दूसरे को नेत्रदान की जानकारी देकर प्रत्येक पुलिस कर्मी को इस अभियान की सफलता के लिए प्रेरित होने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के दौरान 52 पुलिसकर्मियों को सम्मानित कर उन्हें एम्स ऋषिकेश के नेत्र विभाग द्वारा प्रशस्तिपत्र भेंट किए गए। कार्यक्रम को पुलिस उपाधीक्षक डीसी ढौंढियाल ने भी संबोधित किया। एम्स ऋषिकेश द्वारा नेत्रदान के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से संचालित जागरूकता कार्यक्रमों को लाभकारी बताते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मी भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए संकल्पित हैं और इस विषय पर पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
आई बैंक के प्रबंधक नर्सिंग ऑफिसर महिपाल चौहान के संचालन में आयोजित जागरूकता शिविर में नगर कोतवाल रवि सैनी, आईडीपीएल चौकी इंचार्ज चिन्तामणी मैठाणी, एम्स चौकी इंचार्ज शिवराम, एम्स नेत्र रोग विभाग के एसआर डॉ. शाश्वत शेखर, डॉ. ज्योति, राकेश कुमार, हितेश कुमार, पवन सिंह, राकेश सिंह समेत बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे।