khabaruttrakhand
उत्तरकाशी

Uttarkashi Tunnel: खौफनाक जंग जीतने वाले श्रमिकों ने लौटने से किया इनकार, 16 ही आने को हुए तैयार; दिए ये जवाब

Uttarkashi Tunnel: खौफनाक जंग जीतने वाले श्रमिकों ने लौटने से किया इनकार, 16 ही आने को हुए तैयार; दिए ये जवाब

Uttarkashi Tunnel: सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन की घटना भले ही बीती बात हो गई हो और यहां निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया हो, लेकिन 17 दिन तक सुरंग के अंदर फंसे रहे श्रमिक अभी उस हादसे से उबर नहीं पाए हैं। यही वजह है कि सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों में से आधे से अधिक दोबारा काम पर लौटने को तैयार नहीं।

25 श्रमिकों ने सिलक्यारा लौटने से साफ मना कर दिया, जबकि 16 सुरंग में काम करने के लिए दोबारा आने को तैयार हैं। इनमें 10 श्रमिक सुरंग की निर्माणदायी कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग में पंजीकृत हैं। जो श्रमिक आना नहीं चाहते उनमें से कुछ ने दूसरी जगह काम शुरू कर दिया है तो कुछ ने रोजगार खोल लिया है। इन अनुभवी श्रमिकों के काम पर नहीं लौटने से निर्माणदायी कंपनी की परेशानी बढ़ गई है। कंपनी के अधिकारी लगातार श्रमिकों की मान-मनौव्वल में जुटे हैं।

Advertisement

Uttarkashi जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर सिलक्यारा में निर्माणाधीन चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में 12 नवंबर 2023 को भूस्खलन हुआ था। इससे 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए थे। ओडिशा निवासी राजू नायक भी उनमें से एक हैं।

जब दूरसंचार के जरिये राजू से बात की तो उन्होंने कहा कि अब सिलक्यारा नहीं आएंगे। वह अपने राज्य में ही रोजगार तलाश रहे हैं। राजू की तरह Ranchi (Jharkhand) निवासी चंकु बेदिया, श्रवण बेदिया और बंधन बेदिया भी सुरंग में जिंदगी के लिए जूझे थे।

Advertisement

वह भी उस खौफ से नहीं उबर पाए हैं और Ranchi में ही काम ढूंढ रहे हैं। स्वजन भी नहीं चाहते कि वह अब कहीं और जाएं। चंकु बेदिया ने यह भी बताया कि कंपनी ने सहयोग राशि का जो चेक दिया था, उसकी धनराशि अब तक खाते में नहीं पहुंची है। मुजफ्फरपुर (बिहार) निवासी दीपक कुमार के जेहन में भी सिलक्यारा हादसे की यादें अभी ताजा हैं। उनके स्वजन भी नहीं चाहते कि वह सिलक्यारा लौटें।

गबर सिंह भी अभी नहीं लौटेंगे

सुरंग में फंसने के बाद साथी श्रमिकों को हौसला बंधाने वाले नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के फोरमैन कोटद्वार निवासी गबर सिंह नेगी भी अभी सिलक्यारा नहीं लौट रहे। उनका कहना है कि अगले कुछ दिनों में बेटे की बोर्ड परीक्षा है और मां का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। इसलिए वह कुछ समय बाद काम पर लौटने के बारे में सोचेंगे।

Advertisement

लौटना मजबूरी, रोजी-रोटी जो कमानी है

बिहार निवासी सोनू शाह ने बताया कि कंपनी की तरफ से लगातार फोन आ रहा है। इसके अलावा काम पर लौटना मजबूरी भी है, क्योंकि रोजी-रोटी जो कमानी है। वह 15 फरवरी के बाद सिलक्यारा लौटेंगे। कंपनी के नियमित श्रमिक हुगली (बंगाल) निवासी जयदेव मार्च के बाद काम पर लौटेंगे।

सुरंग में फंसे माणिक पहुंचे सिलक्यारा

कूचबिहार (बंगाल) निवासी माणिक तलुकदार गुरुवार को उत्तरकाशी पहुंच गए। वह सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों में पहले हैं, जो हादसे के बाद यहां पहुंचे हैं। उनका कहना है कि जब वह सुरंग में फंसे थे तो कंपनी ने साथ दिया। इसलिए अब कंपनी का साथ देना और सुरंग का काम पूरा करना उनकी जिम्मेदारी है।

Advertisement

विश्वास जागृत करने में जुटी कंपनी

केंद्र सरकार ने 23 जनवरी को सुरंग में फिर से काम शुरू करने की अनुमति दी थी। इसके बाद कंपनी ने काम तो शुरू कर दिया, मगर अनुभवी श्रमिकों की कमी खल रही है। ऐसे में कंपनी के अधिकारी लगातार उन श्रमिकों को फोन घनघना रहे हैं, जो सुरंग के अंदर फंसे थे। श्रमिकों में विश्वास जगाने के लिए उन्हें यह भी बता रहे हैं कि सुरंग में सबसे पहले उनकी सुरक्षा के लिए एस्केप टनल तैयार की जा रही है। बावजूद इसके अधिकांश श्रमिक आने को राजी नहीं हो रहे।

Advertisement

Related posts

परिवहन विभाग उत्तरकाशी दिखाई दिया एक्शन मोड़ में, परमिट शर्तों के विरुद्ध चलने वाली बसों की अब खैर नहीं।

khabaruttrakhand

ब्रेकिंग:- मुख्य विकास अधिकारी ने ली 2022-23 के अन्तर्गत केन्द्रपोषित एवं वाह्य सहायतित योजनाओं की समीक्षा बैठक।

khabaruttrakhand

कई पुराने चेहरों की घर वापसी वही कई अन्य ने थामा बीजेपी का दामन

khabaruttrakhand

Leave a Comment

Verified by MonsterInsights