Lok Sabha elections 2024 के लिए SP मुखिया Akhilesh Yadav ने हर सीट से बेहद ही सोच समझकर प्रत्याशियों का चयन किया है। इस बार एटा लोकसभा से भी ऐसे प्रत्याशी पर दांव लगाया है कि दो बार जीतने वाली BJP के खेमे में भी बैचेनी छाई हुई है।
यूं तो एटा लोकसभा सीट पर मतदाताओं के बीच मुख्य मुकाबला लोधी और यादवों के बीच रहता है। यही दोनों जाति वर्ग सर्वाधिक हैं। जो अपनी एकजुटता के साथ जीत-हार का फैसला करते हैं। लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं। परंपरागत वोट तो दोनों दलों का अपनी-अपनी जगह है, जबकि शाक्य मतदाताओं में बिखराव के आसार बन गए हैं। BJP के बेस वोटर कहे जाने वाले ये मतदाता SP से शाक्य आने के बाद असमंजस में है। ऐसे में शाक्य मतदाता जिस ओर एकजुटता के साथ झुकते हैं तो गेम चेंबर साबित हो सकते हैं।
लोकसभा सीट पर लोधी, यादवों के अलावा शाक्य मतदाताओं की भी संख्या भारी-भरकम है। पूर्व के चुनावों में तमाम शाक्य प्रत्याशी किस्मत आजमा चुके हैं। इसी वर्ग से महादीपक सिंह शाक्य एटा लोकसभा सीट पर पांच बार और कासगंज लोकसभा सीट पर एक बार सांसद रहे थे। दो बार यादव और तीन बार लोध वर्ग से सांसद चुने गए हैं। सामान्य रूप से यहां BJP को शाक्य मतदाताओं का साथ मिलता रहा है। जिसके चलते जातीय समीकरण के लिहाज से पार्टी का पलड़ा भारी हो जाता है। इसी समीकरण को कमजोर कर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए SP ने शाक्य प्रत्याशी को यहां भेजा है।
SP के देवेश शाक्य लगातार सजातीयों में बैठकें कर उनका रुख सपा की ओर मोड़ने के प्रयास में जुटे हैं। तो BJP इन मतदाताओं को पार्टी से जोड़े रखने के लिए ताकत लगा रही है। शाक्य समाज के पार्टी नेताओं को चेहरा बनाकर बैठकें की जा रही हैं। यूं तो Modi के व्यक्तित्व और अयोध्या मंदिर लहर में लड़े जा रहे चुनाव में BJP बेहद मजबूत मानी जा रही है। लेकिन PDA का फाॅर्मूला लेकर आई SP के साथ यहां शाक्य फैक्टर भी जुड़ गया है। साथ ही गठबंधन में कांग्रेस का भी साथ है। ऐसे में भाजपा का जीतना आसान नहीं होगा।
BSP पर भी निगाहें
इस सीट पर अभी तक BSP ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यदि BSP भी शाक्य प्रत्याशी को लेकर आती है तो मुकाबला और ज्यादा रोचक हो जाएगा। शाक्य वोट के पूरी तरह बिखरने की शंका बन जाएगी। ऐसे में BJP के साथ ही SP को भी नुकसान होगा।