शनिवार को जिलाधिकारी मयूर दीक्षित द्वारा जिला सभागार नई टिहरी में टिहरी झील बांध प्रभावित चोपड़ा एवं मदननेगी के ग्रामीणों के साथ बैठक की गई।
इस मौके पर चोपड़ा के ग्रामीणों द्वारा शिकायत की गई कि टीएचडीसी द्वारा चोपड़ा की अधिग्रहित भूमि का प्रतिकर 19 खातेदारों को ही दिया गया, जबकि उसमें अन्य का भी हिस्सा था।
उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की। इस संबंध में महाप्रबन्धक टीएचडीसी ने अवगत कराया कि वर्ष 2005 में टिहरी झील बांध हेतु चोपड़ा में अधिग्रहण भूमि का पुनर्वास नीति के तहत 19 काश्तकारों में से 07 पात्र खाताधारकों को पूर्ण भुगतान तथा शेष को नियमानुसार आंशिक भुगतान किया गया है, जिसका शपथ पत्र भी उपलब्ध है।
वहीं वर्ष 2010 में मलवे हेतु अधिग्रहित भूमि का प्रथम किश्त 05 लाख रूपये के रूप में संबंधितों को दी गई है।
जुलाई 2016 में ग्रामीणों द्वारा डम्पिंग बन्द कर दी गई, तब से परियोजना कोटी में डम्पिंग कर रही है।
मदननेगी के ग्रामीणों ने वर्ष 2010 में हुए सर्वे के आधार पर 32 क्षतिग्रस्त मकानों के पुनः सर्वे कराने की बात कही गई। इस संबंध में टीएचडीसी के अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि वर्ष 2011, 2017 एवं 2018 में विशेषज्ञ समिति द्वारा सर्वे किया गया, जिसमें प्राकृतिक आपदा इसका कारण बताया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञों की कमेटी बनायी जा रही है, जो आने वाले दिनों में टिहरी झील बांध प्रभावित गांवों की मॉनिटरिंग का कार्य करेगी।
चोपड़ा के प्रकरण पर जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों विधिक राय लेने को कहा, तत्पश्चात् मा. न्यायालय के आदेशों के क्रम में आगे की कार्यवाही किये जाने की बात कही गई।
बैठक में अधिशासी निदेशक टीएचडीसी एल.पी. जोशी, महाप्रबन्धक टीएचडीसी विजय सहगल, एसडीएम टिहरी संदीप कुमार, अधिशासी अभियन्ता पुनर्वास डी.एस. नेगी सहित चोपड़ा एवं मदननेगी के ग्रामीण मौजूद रहे।