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उत्तराखंड में ओमिक्रॉन की दहशत: पर्यटक रद्द कर रहे बुकिंग, पर्यटन व्यवसायियों की बढ़ी चिंता

सार
कोरोना संक्रमण के चलते लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम, मुनिकीरेती और तपोवन क्षेत्र में राफ्टिंग और कैंप संचालक मंदी की मार से धीरे-धीरे उबरने शुरू हो रहे थे। जैसे ही व्यवस्थाएं पटरी पर दौड़नी शुरू हुई थीं वैसे ही अब देश में नए वैरिएंट ने दस्तक दे दी है।

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ऋषिकेश का खूबसूरत नजारा
– फोटो : Pixabay

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ऋषिकेश में राफ्टिंग और कैंपिंग के व्यवसाय पर कोरोना का साया फिर से मंडराना शुरू हो गया है। नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने से राफ्टिंग और कैंपिंग करने आ रहे सैलानियों की संख्या में गिरावट आ रही है। प्रदेश की सीमाओं पर कोरोना जांच होने से पर्यटकों को परेशानी हो रही है। कई पर्यटकों ने अपनी ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। 

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राफ्टिंग और कैंपिंग के कारोबार पर पड़ रहा असरकोरोना संक्रमण के चलते लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम, मुनिकीरेती और तपोवन क्षेत्र में राफ्टिंग और कैंप संचालक मंदी की मार से धीरे-धीरे उबरने शुरू हो रहे थे। जैसे ही व्यवस्थाएं पटरी पर दौड़नी शुरू हुई थीं वैसे ही अब देश में नए वैरिएंट ने दस्तक दे दी है। इसके चलते शासन और प्रशासन अलर्ट हो गए हैं। प्रदेेश की सीमाओं में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच बढ़ा दी गई है। इसका असर राफ्टिंग और कैंपिंग के कारोबार पर पड़ रहा है। 

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गंगा नदी रीवर राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट, राफ्ट व्यवसायी राज कुमार और अनुराग पयाल ने बताया कि देश, विदेश में नए वैरिएंट की दस्तक से पर्यटकों में डर का माहौल है। इसका असर अब तीर्थनगरी में संचालित राफ्टिंग और कैंपिंग पर पड़ रहा है। राफ्टिंग और कैंपिंग को आने वाले पर्यटकों ने ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। वीकेंड पर भी पर्यटकों की संख्या कम हो गई है। स्थिति यह है कि अब यहां व्यवसाय 30 से 35 प्रतिशत ही रह गया है।

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद लोगों में डर बढ़ गया है। उत्तराखंड में नया वैरिएंट हालांकि, नहीं मिला है, लेकिन बढ़ता खतरा देख लोग अपनी और अपनों की सुरक्षा पर ध्यान देने लगे हैं। दवा बाजार में मास्क, सैनिटाइजर, केप और ग्लब्स की बिक्री बढ़ गई है। बीते एक महीने में 35 प्रतिशत से अधिक का कारोबार में तेजी है। इसमें सबसे ज्यादा मास्क और ग्लब्स की बिक्री बढ़ी है। 

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कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में पब्लिक मास्क, सैनेटाइजर, कैप और ग्लब्स का जमकर उपयोग कर रही थी। हर जगह सैनिटाइजर का भी लागों ने खूब उपयोग किया। सरकारी कार्यालयों से लेकर दुकानों में सैनिटाइजर से हाथों को स्प्रे कर ही सामान दिया जा रहा था। इसके साथ ही लोग अपनी जेब में सैनिटाइजर की शीशी साथ रखकर चल रहे थे। जो खुद इसका इस्तेमाल करने के साथ ही संपर्क में आने वाले लोगों के हाथों को भी सैनिटाइज कराकर उसका फायदा भी बता रहे थे। 

कोरोना वायरस के कम होते ही लोगों ने सुरक्षा के तमाम नियमों को अपना छोड़ दिया। ना तो कोई मास्क लगा रहा था ना ही कोई सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहा था। अब जब देश में नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दस्तक दी है। पब्लिक ने फिर से इन चीजों का इस्मेताल करना शुरू कर दिया है। दवा की थोक मंडी से लेकर मेडिकल स्टोरों पर सैनिटाइजर, कैप, ग्लब्स, मास्क की डिमांड बढ़ गई है। 

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विस्तार

ऋषिकेश में राफ्टिंग और कैंपिंग के व्यवसाय पर कोरोना का साया फिर से मंडराना शुरू हो गया है। नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने से राफ्टिंग और कैंपिंग करने आ रहे सैलानियों की संख्या में गिरावट आ रही है। प्रदेश की सीमाओं पर कोरोना जांच होने से पर्यटकों को परेशानी हो रही है। कई पर्यटकों ने अपनी ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। 

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राफ्टिंग और कैंपिंग के कारोबार पर पड़ रहा असर
कोरोना संक्रमण के चलते लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम, मुनिकीरेती और तपोवन क्षेत्र में राफ्टिंग और कैंप संचालक मंदी की मार से धीरे-धीरे उबरने शुरू हो रहे थे। जैसे ही व्यवस्थाएं पटरी पर दौड़नी शुरू हुई थीं वैसे ही अब देश में नए वैरिएंट ने दस्तक दे दी है। इसके चलते शासन और प्रशासन अलर्ट हो गए हैं। प्रदेेश की सीमाओं में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच बढ़ा दी गई है। इसका असर राफ्टिंग और कैंपिंग के कारोबार पर पड़ रहा है। 

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गंगा नदी रीवर राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट, राफ्ट व्यवसायी राज कुमार और अनुराग पयाल ने बताया कि देश, विदेश में नए वैरिएंट की दस्तक से पर्यटकों में डर का माहौल है। इसका असर अब तीर्थनगरी में संचालित राफ्टिंग और कैंपिंग पर पड़ रहा है। राफ्टिंग और कैंपिंग को आने वाले पर्यटकों ने ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। वीकेंड पर भी पर्यटकों की संख्या कम हो गई है। स्थिति यह है कि अब यहां व्यवसाय 30 से 35 प्रतिशत ही रह गया है।

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