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Ram Mandir: पुलिस से बचने के लिए जिस गांव में शरण ली, वे बने मददगार, कौशिक ने साझा कीं आंदोलन से जुड़ीं यादें

Ram Mandir: पुलिस से बचने के लिए जिस गांव में शरण ली, वे बने मददगार, कौशिक ने साझा कीं आंदोलन से जुड़ीं यादें

Ram Mandir: रामजन्म भूमि आंदोलन के समय हम उत्साहित नौजवानों का एक दल जब अयोध्या पहुंचा तो वहां चप्पे-चप्पे में खड़ी पुलिस मानो हमारे इंतजार में खड़ी थी। हम वहां से भागे और अयोध्या के एक गांव में पहुंच गए। अंजाना गांव और अपरिचित लोग। हम आशंकित थे कि पुलिस के डर से गांव वाले हमें शरण देंगे कि नहीं। लेकिन हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब ग्रामीणों ने हमारे लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए।22 जनवरी को अयोध्या में Ram Lalla की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जो उत्साह आज दिखाई दे रहा है, ठीक वैसा उत्साह रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान रामभक्तों का था। उस दौरान हरिद्वार में मेरे पास बजरंग दल के जिला संयोजक का दायित्व था। 11 साल तक मैंने इस जिम्मेदारी को संभाला।

अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला को स्थापित करने और वहां भव्य Ram Mandir बनाने के लिए हरिद्वार में निरंतर धर्म संसद और धर्म सभाएं हो रही थीं। विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल समेत अन्य धर्म संस्थाओं के प्रतिनिधि इन धर्म संसदों में आते और अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने की प्रतिज्ञा लेते। हम इन कार्यक्रमों को लेकर बेहद उत्साहित थे। 1989 और उसके बाद 1992 के दौरान राम ज्योति और शिला पूजन कार्यक्रम आए, जिनमें हमने सक्रिय भूमिका निभाई।

अयोध्या तक हमें पहुंचाने की व्यवस्था की

फिर वह समय आया जब कार सेवा के लिए अयोध्या चलो का नारा गूंजा। हमने भी अयोध्या जाने की तैयारी कर ली। करीब 150 लोगों का एक जत्था हरिद्वार से अयोध्या के लिए रवाना हुआ। जब हम वहां पहुंचे तो हमें एक अपरिचित गांव में शरण लेनी पड़ी। वे ग्रामीण किसी संगठन या दल से नहीं जुड़े थे। लेकिन भगवान राम के नाम पर उन्होंने हमारी खूब खिदमत की। रहने और खाने की नहीं बल्कि अयोध्या तक हमें पहुंचाने की भी व्यवस्था की।

कोई हमें मोटरसाइकिल तो कोई साइकिल से अयोध्या ले गया। जब हम अयोध्या पहुंचे तो सड़कों पर सन्नाटा था। हमें सूचना थी कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। लेकिन पांच मिनट में सबकुछ बदल गया। लाखों कारसेवकों का सैलाब अचानक सड़कों पर उतर आया। ऐसा माहौल था कि पुलिस के पांव भी उखड़ गए। वह बेबस खड़े सिर्फ भीड़ का सैलाब देखते रहे।

उन लाखों कारसेवकों के संघर्ष और बलिदान का परिणाम है कि आज पूरा देश और विश्व अयोध्या में भव्य और दिव्य रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के जश्न में डूब-उतरा रहा है। सारे देश में भगवान राम के नाम की चल रही बयार में हर कोई आनंदित है।

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