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दुर्लभ बीमारी की जटिल सर्जरी में यहां मिली सफलता , ऋषिकेश सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों की उपलब्धि सहारनपुर से रेफर होकर यहां आया था 32 वर्षीय युवक।

दुर्लभ बीमारी की जटिल सर्जरी में मिली सफलता
एम्स, ऋषिकेश सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों की उपलब्धि
सहारनपुर से रेफर होकर एम्स आया था 32 वर्षीय संजय कुमार।

एम्स,ऋषिकेश का सीटीवीएस विभाग प्रतिदिन सफलता की बुलंदियों को हासिल कर रहा है तथा दुर्लभ किस्म के जटिल मामलों का समाधान से जनसाधारण को राहत देकर उनकी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है।
इसी क्रम में हाल ही में सीटीवीएस विभाग ने एक दुर्लभ मामले का समाधान कर पीड़ित पेशेंट को राहत देकर यह सिद्ध कर दिया कि जटिल बीमारी की स्थिति में भी यदि समय रहते मरीज को उपचार मिले तो उसके जीवन को बचाया जा सकता है ।
सहारनपुर निवासी 32वर्षीय संजय कुमार जो कि पैट्रोल पंप पर प्राइवेट जॉब कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं और अपने परिवार में अकेले कमाने वाले व्यक्ति हैं।
बीती 28 मई को उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवा ग्रस्त होने से उनका आधा शरीर निष्क्रिय हो गया। इसके साथ साथ उन्हें खाना निगलने में भी दिक्कत आने लगी।
परिजन उन्हें सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां से चिकित्सकों ने उन्हें एम्स,ऋषिकेश के लिए रेफर कर दिया। यहां उन्हें आपातकालीन विभाग में भर्ती किया गया और उनका तीब्र स्किमिक स्ट्रोक का उपचार किया गया।
मूल्यांकन के बाद उन्हें कार्डियोलॉजी विभाग में रेफर कर दिया गया। जहां मरीज की जांच में पता चला कि पेशेंट का लेफ्ट बैंट्रिकल( जो दिल का मुख्य पंपिंग चैंबर है) ट्यूमर से ग्रसित है।

विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार लेफ्ट बैंट्रिकल के ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ होते हैं और यदि ट्यूमर या उसका कोई हिस्सा टूटकर आगे बढ़ जाए तो रोगी की आकस्मिक मौत हो सकती है। सीटीवीएस विभाग की एडिशनल प्रोफेसर एंड हैड (यूनिट 2) डॉ. नम्रता गौर ने बताया कि पेशेंट संजय कुमार का विभाग की यूनिट 2 के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनीश गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दनिश्वर मीना व रेजिडेंट डॉ. ईशान जलानी ने डॉ. अजय कुमार मिश्रा के नेतृत्व वाली एनेस्थिसिया टीम, चीफ नर्स केशव, हार्ट लंग मशीन टेक्निशियन अमित की टीम ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया।
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में सेप्टम से जुड़े 4× 4 ×3 सेंटीमीटर के इस ट्यूमर को हटाकर पूरी तरह से निकाल दिया गया। ट्यूमर को प्रयोगशाला में सघन परीक्षण के लिए भेजा गया है।

रोगी की हालत व खाना निगलने की क्षमता में तेजी से सुधार हो रहा है।

डॉ. नम्रता गौर ने इस सफलतापूर्ण उपलब्धि के लिए समस्त सीटीवीएस ओटी एवं आईसीयू के नर्सिंग स्टाफ व कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया है।
चिकित्सक के अनुसार इस जोखिमपूर्ण सर्जरी को सफलता के साथ अंजाम तक पहुंचाना सीटीवीएस विभाग का पेशेंट्स के प्रति ईमानदार प्रयास व प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इंसेट
डॉ. नम्रता ने बताया कि पहले उत्तराखंड में ओपन हार्ट सर्जरी कराने के साधन व मेडिकल संस्थान यहां गरीब तबके के आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन अब एम्स,ऋषिकेश अपने सतत प्रयासों से हर तबके के मरीज के लिए जटिल से जटिल दिल के ऑपरेशन नियमितरूप से कर रहा है।
इसके साथ ही संस्थागत स्तर पर प्रयास किया जा रहा है कि उत्तराखंड में दिल के इलाज की समग्र सुविधाएं सरकारी अस्पताल में आम गरीब व्यक्ति को मिल सके।

इंसेट
चिकित्सक के अनुसार मरीज को 24 जून 2024 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। मरीज व परिजन एम्स अस्पताल में किए गए इस सफल उपचार के लिए प्रसन्न हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न तरह की समस्याओं से ग्रसित मरीज का उपचार सीटीवीएस, न्यूरोलॉजी,ईएनटी विभाग की देखरेख में अभी जारी रहेगा और मरीज को आगे के इलाज के लिए समय समय पर फॉलोअप ओपीडी में आने को कहा गया है।

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